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रायगढ़ सिटी माल संचालक रतेरिया ने दिखाई दादागिरी, पीड़ित को अपराधी बनाने में टीआई ने भी निभाई भागीदारी

छत्तीसगढ़ 4 नवम्‍बर 2015 (जावेद अख्तर). रायगढ़ जिले में जिस तेजी से पत्रकारों पर हमले किए जा रहे हैं उससे तो स्थिति काफी चिंताजनक होती जा रही है। इसी क्रम में ताजा तरीन मामला रायगढ़ जिले का है जहाँ पर अपने हक के लिए बोलना पत्रकार को भारी पड़ गया। पहले तो माल संचालक आलोक रतेरिया ने अपने कुछ साथियों व माल स्टाफ के साथ मिलकर पत्रकार के साथ मारपीट की और फिर अपने धन व पहुंच का उपयोग करते हुए पीड़ित पत्रकार के ऊपर ही अपराध दर्ज करवा कर उसे जेल भिजवा दिया।

इस अवैधानिक कृत्य में थाना प्रभारी ने भी पूरी सहभागिता निभाते हुए कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ा दीं। घटना इस प्रकार है कि रवि कुमार अग्रवाल, सुभाष चौक के पास नई सड़क निकट दिनशा आईसक्रीम, रायगढ़ में अपनी छोटी सी दुकान चलाता है और साथ ही पत्रकारिता भी करता है। रवि अग्रवाल के मकान व दुकान के ठीक सामने आलोक ट्रेडर्स के संचालक आलोक रतेरिया द्वारा सिटी माल बनाया गया, माल में ग्राहकों की भीड़ अधिक हो जाने की स्थिति में ग्राहकों द्वारा चार पहिया व दुपहिया वाहनों की पार्किंग सडक पर ही कर दी जाती है। रवि के मकान व दुकान के सामने खाली स्थान और मुख्य सड़क मार्ग पर वाहनों को बेतरतीब तरीके से पार्क कर दिया जाता है जिससे मकान व दुकान के सामने से निकलना मुश्किल हो जाता है। ऐसी बेतरतीब पार्किंग से रवि के मकान का मेन दरवाजा ही बंद हो जाता जिसके कारण कोई भी घर के अंदर व बाहर नहीं आ जा सकता। दुकान के ऐन ठीक सामने वाहन खड़े करने की वजह से दुकान तक ग्राहकों के आने जाने के लिए जगह ही नहीं बचती, जिससे दुकानदारी पर प्रभाव पड़ने लगा चूंकि पूरे परिवार का भरण पोषण का मुख्य माध्यम यही दुकान थी। वाहनों की बेतरतीब पार्किंग से परेशान होकर रवि कुमार अग्रवाल, आलोक ट्रेडर्स व सिटी माल के संचालक आलोक कुमार रतेरिया को पूरी जानकारी दी कि माल के सुरक्षाकर्मियों द्वारा ग्राहकों के वाहनों की पार्किंग मुख्य सड़क मार्ग पर और मेरे मकान व दुकान के सामने कराने से जाम लग जाता है और आवागमन पूरी तरह बधित होता है इसलिए कृपया आप अपने सुरक्षा कर्मियों को समझाइए। कई बार समझाइश दी गई परन्तु माल संचालक द्वारा लगातार अनसुना व अनदेखा किया जाता रहा।

बीती 1 जुलाई 2015 के दिन भी माल के ग्राहकों द्वारा मकान व दुकान के सामने बेतरतीब तरीके से वाहनों की पार्किंग कर दी गई जिससे क्षुब्ध होकर शाम के लगभग 7 बजे रवि के परिवार द्वारा माल के संचालक को शिकायत की गई कि बेतरतीब वाहन पार्किंग से मेन दरवाजा नहीं खुल रहा है और दुकान के शटर तक वाहन खड़े कर दिए गए हैं। वाहनों की पार्किंग सही से करवाई ताकि कम से कम घर में आना जाना तो किया जा सके। तत्पश्चात ही धनाढ्य व अहंकारी माल संचालक आलोक रतेरिया द्वारा रवि अग्रवाल को प्रताड़ित करने का घिनौना कृत्य शुरू हुआ। उसी दिन जब रवि अपने घर रात लगभग 12 बजे पहुंचा, तो वहां पर आलोक ट्रेडर्स व सिटी माल के संचालक आलोक रतेरिया और उनके स्टाफ के अन्य कई सदस्य इकठ्ठा होकर खड़े थे, देखते ही रवि को माल संचालक व स्टाफ द्वारा भद्दी व अश्लील गालियाँ देने लगे। जिसका रवि ने विरोध किया, विरोध करने पर माल संचालक रतेरिया अपने स्टाफ़ के साथ मिलकर रवि को बुरी तरह से मारने मारपीट लगे, विपक्ष की संख्या अधिक होने से रवि असहाय होकर जमीन पर गिर गया मगर माल के संचालक व स्टाफ द्वारा पिटाई बंद नहीं की गई, मारने पीटने के दौरान ही रवि की जेब से मोबाइल फोन भी निकाल लिया गया। मारपीट से रवि अग्रवाल को काफी गहरी चोटें आई थीं नाक व चेहरे पर घाव हो गए थे जिसमें से खून का रिसाव भी हो रहा था, इस संबंध में रवि अग्रवाल द्वारा थाना सिटी कोतवाली, रात्रि में ही शिकायत के लिए गया, जहां पर सिटी माल संचालक रतेरिया भी अपने स्टाफ़ के साथ पहुंच गया। धनाढ्य आलोक रतेरिया के पक्ष को महत्व देते हुए थाना प्रभारी ने दोनों पक्षों में समझौता करा कर मामले को रफा-दफा कर दिया।

तत्पश्चात रात में थाना प्रभारी द्वारा समझौता करा देने के उपरांत पीड़ित रवि घर आने के लिए निकला मगर जैसे ही वह अपने मकान के सामने पहुंचा तब ही वहां पर फिर से सिटी माल संचालक अपने दो अन्य साथियों व सिक्योरिटी गार्ड सहित पहुंच गया और रवि को रोककर फिर से गंदी गंदी गालियाँ देने लगे और कहने लगे, कि तुमने हमारा क्या बिगाड़ लिया, दुबारा से पंगा नहीं लेना वरना भगवान के पास पहुंचा दूंगा और जाते जाते रवि अग्रवाल को कह गए कि दुबारा शिकायत किया तो जान से मार दूंगा या मरवा दूंगा। तुम्हारे साथ ही पूरे परिवार का भी खात्मा करवा दूंगा और मेरा कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकेगा।

चूंकि आलोक ट्रेडर्स व सिटी माल के संचालक आलोक रतेरिया का संबंध प्रदेश के बड़े व नामी नेताओं, मंत्रियों और उच्चाधिकारियों से काफी घनिष्ठ हैं और रायगढ़ जिले के सभी उच्च प्रशासनिक अधिकारियों से अच्छे संबंध हैं इसीलिए आलोक रतेरिया को कानून का मजाक उड़ाने, नियमों को तोड़ने मरोड़ने व संविधान का उल्लंघन करने में हिचक नहीं होती है, वो बेखौफ होकर ऐसी हरकतें करता है।

जिससे रवि अग्रवाल व उसके परिजन बुरी तरह डरे हुए थे, किसी गंभीर दुर्घटना या षड्यंत्र पूर्वक घटना की आशंका से भयभीत होकर ही पीड़ित रवि अग्रवाल फिर से थाना सिटी कोतवाली में अपनी शिकायत लेकर गया मगर आलोक रतेरिया के खिलाफ शिकायत नहीं ली गई बल्कि थाना प्रभारी ने पीड़ित रवि अग्रवाल के विरुद्ध ही फौजदारी मामला 294, 323, 506, /34 भा.द.वि. के तहत दर्ज किया, जाप्ता फौजदारी की धारा 151 के तहत दर्ज कर लिया गया और कार्यपालन अधिकारी के न्यायालय में भेज दिया गया।

यहां पर भी रवि अग्रवाल द्वारा जमानतदार प्रस्तुत करने के बाद भी जेल रिलीज़ बनाकर अभिरक्षा में भेज दिया गया और जानबूझकर रवि अग्रवाल की रिहाई रात की जेल लॉकअप लगने के बाद भेजी गई, इस तरह रवि को रात भर अभिरक्षा में रहने को मजबूर किया गया। जिसकी पूरी जानकारी सूचना का अधिकार अधिनियम (2005) के तहत निकाली गई है जिसमें स्पष्ट हुआ है कि रवि अग्रवाल को जानबूझकर रात भर अभिरक्षा में रहने के लिए विवश किया गया।

छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा दरख्वास्त वास्ते मुलाहिजा जख्मी शख्स रिपोर्ट क्रमांक सोलह (क)-54 /पुलिस 01.07.2015 व (एमआईसी) एक्स-रे रिपोर्ट क्रमांक 3918/02.07.2015 चिकित्सा अधिकारी द्वारा परीक्षण करने के पश्चात रिपोर्ट बनाई गई, जिसे थाना प्रभारी सिटी कोतवाली रायगढ़ द्वारा सत्यापित किया गया है। सूचना का अधिकार द्वारा जानकारी प्राप्त की गई है, सूचना क्रमांक 24/15 दिनांक 23.07.15 को थाना प्रभारी सिटी कोतवाली रायगढ़ द्वारा जानकारी के दस्तावेज उपलब्ध कराए गए। दस्तावेजों की जांच के लिए शासकीय चिकित्सालय रायपुर के वरिष्ठ चिकित्सक को रिपोर्ट दिखाया गया, तो वरिष्ठ चिकित्सक ने बताया कि मुलाहिजा रिपोर्ट व एक्स-रे रिर्पोट में स्पष्ट रूप से परीक्षण के बाद लिखा गया है कि रवि अग्रवाल के साथ मारपीट की गई तथा उसको लाठी डंडे से भी मारा गया है, मुंह व नाक तथा शरीर के कई भागों में भी गहरी चोटें आईं हैं और उसने शराब नहीं पी रखी है।

धनाढ्य आलोक रतेरिया द्वारा रवि अग्रवाल को प्रताड़ित व शोषित करने का घृणित कार्य अभी भी बंद नहीं किया गया, बल्कि पहली घटना के 5-7 दिन बाद पुनः रवि के साथ माल सिक्योरिटी गार्ड्स व अन्य लोगों द्वारा मारपीट की गई और जान से मारने की धमकी दी गई। रवि के साथ पुनः से मारपीट करने में माल के 2 सिक्योरिटी गार्ड एवं अमित व मनीष और 4 अन्य लोग, जिसे रवि अग्रवाल नहीं जानता, शामिल थे। इसके बाद भी पीड़ित रवि अग्रवाल ने एक लिखित शिकायत दिनांक 09/07/2015 को प्रस्तुत किया, मगर थाना प्रभारी ने यहां पर भी कानून का उल्लंघन करते हुए मात्र 2 सिक्योरिटी गार्ड एवं अमित व मनीष के विरूद्ध 294, 506, 323 भा.द.वि. के तहत जमानती अपराध दर्ज किया गया। काबिलेगौर है कि पीड़ित रवि अग्रवाल द्वारा आवेदन में लिखा गया है कि माल के 2 सिक्योरिटी गार्ड एवं अमित व मनीष एवं 4 अन्य लोगों द्वारा अनाधिकृत रूप से "बलात घर के अंदर प्रवेश कर मारपीट" किए जाने का उल्लेख है किंतु थाना प्रभारी सिटी कोतवाली ने आलोक ट्रेडर्स व सिटी माल संचालक आलोक रतेरिया के लिए साफ्ट कार्नर रखते हुए आवेदन में उल्लेखनीय बातों को अनदेखा कर आरोपियों के विरुद्ध इस आशय के लिए कोई धारा नहीं लगाई है और 4 अन्य लोगों को बचाने के उद्देश्य से पुलिस ने इस बात का भी उल्लेख नहीं किया है। स्पष्ट है कि थाना प्रभारी ने अपने पद व अधिकारों का दुरूपयोग करते हुए धनाढ्य रतेरिया के लिए कानून की ही इज्ज़त मिट्टी में मिला दी और खुलेआम कानून की ऐसी तैसी करते हुए पीड़ित को ही अपराधी बनाकर हवालात में बंद कर दिया।

इस मामले की जांच कराई जानी चाहिए ताकि असलियत का पता चल सके कि थाना प्रभारी ने कानून की मिट्टी पलीत क्यों कर दी। जबकि रवि अग्रवाल कोई पुराना अपराधी नहीं था और न ही उनके खिलाफ पहले कोई मामला दर्ज है बावजूद इसके पुलिस ने ऐसा रव्वैय्या अपनाया जैसे कि रवि अग्रवाल कोई मोस्ट वॉन्टेड अपराधी हो। पुलिस की यह प्रक्रिया पूरी तरह सवालों के घेरे में है। इसलिए पुलिस महानिदेशक को इस मामले पर हस्तक्षेप करना चाहिए और मामले को संज्ञान में लेते हुए स्पष्ट जांच व कारवाई करने का आदेश दिया जाना चाहिए। यहां यह भी बात बतानी लाजिमी है कि थाना प्रभारी सिटी कोतवाली द्वारा सुनवाई न करने के बाद पीड़ित रवि अग्रवाल ने घटना से सम्‍बंधित जानकारी लिखित आवेदन स्वरूप
- पुलिस अधीक्षक रायगढ़, छग शासन
- पुलिस महानिदेशक, संभाग बिलासपुर, छग शासन
- छत्तीसगढ़ गृहमंत्री, रायपुर, छ.ग. राज्य शासन
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली
को भेजी थी।

राज्य मानवाधिकार आयोग को दिए आवेदन में राज्य के गृहमंत्री रामसेवक पैकरा ने आदेश लिखा है कि पुलिस अधीक्षक रायगढ़ जांच कर पीड़ित आवेदक को न्याय दिलाएं। मगर गृहमंत्री व राज्य मानवाधिकार आयोग द्वारा आवेदन स्वीकृति करके पुलिस अधीक्षक रायगढ़ को भेजा गया बावजूद इसके पुलिस अधीक्षक रायगढ़ ने मामले को संज्ञान में लेने की जरूरत नहीं समझी। सबसे अधिक गौर करने वाली बात यह है कि पीड़ित रवि ने जब देखा कि आलोक रतेरिया व अन्य के खिलाफ थाना प्रभारी सिटी कोतवाली कोई भी कार्रवाई करने के मूड में नहीं है और न ही कार्यवाही करने की मंशा दिखाई दे रही थी तब रवि ने पुलिस अधीक्षक रायगढ़ को दिनांक 21/07/2015 को पहले मौखिक जानकारी दी। जिस पर पुलिस अधीक्षक ने पीड़ित द्वारा बताई गई घटना को अनसुना करते हुए बाहर निकल जाने के लिए कह दिया तथा भविष्य में भी किसी प्रकार का सहयोग करने से भी इंकार कर दिया।

सूत्रों से जानकारी प्राप्त हुई है कि आलोक ट्रेडर्स व सिटी माल संचालक आलोक रतेरिया और पुलिस अधीक्षक रायगढ़ के बीच काफी मधुर संबंध है। इससे समझ आता है कि पुलिस अधीक्षक रायगढ़ ने पीड़ित आवेदक की बात को सुनने से इंकार क्यों कर दिया और आगे भी सहयोग न करने के लिए क्यों कहा। मगर प्रश्न यह उठता है कि पुलिस अधीक्षक रायगढ़ ने पुलिस फोर्स ज्वाइन करते समय क्या यही शपथ ग्रहण की थी? कि आम जनता की मदद करने की बजाए धनाढ्य आलोक रतेरिया जैसों की मदद करेंगे। कानून का मजाक बनाने वालों के साथ संबंधों में मधुरता बनाए रखेंगे? आम आदमी की सुरक्षा व रक्षा करने की बजाए सिर्फ धनाढ्य आलोक रतेरिया की ही सुरक्षा व रक्षा करेंगे? और धनाढ्य व प्रभावी व्यक्तियों की बातों को ही वरीयता देंगे?

अगर ऐसा ही है तो विचारणीय प्रश्न यह है कि भारतीय संविधान क्या पुलिस अधीक्षक को ऐसा दोहरा बर्ताव करने की इजाज़त देता है? क्या पुलिस अधीक्षक रायगढ़ द्वारा किया गया यह व्यवहार किसी भी रूप से तर्क संगत व न्यायिक है? पुलिस अधीक्षक के पद की गरिमा व कर्तव्यों व अधिकारों व ज़िम्मेदारियों के तहत ऐसा किया जाना शोभनीय है? यह तो पुलिस अधीक्षक रायगढ़ को सोचना चाहिए कि उन्होंने पीड़ित आवेदक के साथ जैसा व्यवहार किया है क्या वह स्वयं इसको न्यायोचित मानते हैं? जबकि सूचना का अधिकार के तहत मिले दस्तावेज खुद ही गवाही दे रहे हैं कि पीड़ित आवेदक रवि अग्रवाल के साथ कितना बड़ा अन्याय किया गया है।

पुलिस अधीक्षक रायगढ़ को अपने संबंधों को दरकिनार करते हुए जायज़ व न्याय का पक्षधर बनना चाहिए और कानूनी रूप से जो सही हो उसको उसका इंसाफ़ दिलाना चाहिए। अगर पुलिस अधीक्षक रायगढ़ सिर्फ आवेदक द्वारा उपलब्ध सभी दस्तावेजों की जांच करा लें तो ही उन्हें स्वयं सारी हकीकत समझ आ जाएगी। दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। कानून के मुहाफिजों को कानूनी चश्में से प्रमाणों को ही देखना चाहिए कि कौन व क्या सही है और कौन व क्या गलत, क्योंकि संबंध हावी होने से गलत भी सही दिखाई देने लगता है।

सोचने वाली बात है कि रायगढ़ जिले में सैकड़ों पत्रकार हैं मगर पीड़ित रवि अग्रवाल के साथ हुए अन्याय के लिए कोई भी पत्रकार क्यों नहीं आया? धनाढ्य आलोक रतेरिया के द्वारा किए गए गलत कार्यों को सही मान रहे हैं क्या सभी स्थानीय पत्रकार बंधु? धनाढ्य आलोक रतेरिया के सामने स्थानीय पत्रकार कमजोर क्यों हो गए?  मेरा अनुरोध तमाम बुद्धिजीवी वर्ग, पत्रकार, संगठनों व पत्रकार के हितों व सुरक्षा की बात करने वाले सभी माननीय सम्मानीयों से है कि रायगढ़ जिले में कार्यरत पत्रकारों से एक बार अवश्य प्रश्न करें कि आखिर धनाढ्य के खिलाफ आवाज़ क्यों नहीं उठाई गई?

अगर समाज में व्याप्त बुराइयों व भ्रष्टाचार के खिलाफ उठने वाली आवाज़ को दबा दिया गया तो समाज गांधी जी के तीन बंदरों की तरह हो जाएगा। जिसमें न ही कुछ सुनाई देगा न ही दिखाई देगा और न ही कोई गलत के खिलाफ बोलेगा। क्या देश व प्रदेश की आम जनता की यह जिम्मेदारी नहीं होती कि वह पत्रकारों के साथ हुई मारपीट या अन्य घटना के लिए पत्रकार पक्ष के साथ खड़ी हो? कलम के सिपाहियों का मनोबल तोड़ने का षड्यंत्र रचा जा रहा है और राजनीतिज्ञ, शासन व प्रशासन चुपचाप बैठे देख रहें हैं और तो और ऐसे अराजकता फैलाने वाले तत्वों के साथ अपनी उपस्थिति भी दर्ज कराते हैं। वाकई यह अत्यंत शर्मनाक है।