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ग्रीन पार्क मैच - पब्लिक जाए भाड़ में, पुलिस प्रशासन पास के जुगाड़ में

कानपुर 07 अक्‍टूबर 2015(मोहम्मद नदीम). चिलचिलाती धूप में क्रिकेट प्रेमियों को टिकट की जगह पुलिस के डंडे का सामना करना पड़ रहा है पर इसका अहसास ना ही प्रशासन को है और ना ही यूपीसीए के कर्मचारियों को। सब अपनी अपनी सेटिंग मे मस्त हैं और अपने करीबियों को अंदर से ही टिकट बेंच रहे हैं जिसकी वजह से सैकड़ों क्रिकेट प्रेमियों को निराश होकर लौटना पड़ रहा है।

यही हाल मीडिया के पास में भी देखने को मिल रहा है। ग्रीनपार्क स्टेडियम में 11 अक्टूबर को भारत बनाम साउथ अफ्रीका के होने वाले एक दिवसीय मैच जुगाड़ की भेंट चढ़ रहा है।पुलिस प्रशासन अपने महकमे को अंदर जुगाड़ से टिकट दिलाने में लगा हुआ है, वहीं बाहर चिलचिलाती धूप में क्रिकेट प्रेमियों को लाइन में खड़े होने के बावजूद टिकट नहीं मिल पा रहा है। हां पुलिस की बर्बर लाठियां जरूर उन्हें मिल रही हैं । यहां पर सब कुछ जुगाड़ से ही होता है, लगता है काउंटर तो दिखावे के लिए लगाए गये है। काउंटर तक पहुंचने से पहले ही कर्मचारियों द्वारा टिकट खत्म होने की घोषणा कर दी जाती है। सात से आठ गुना दामों में टिकटों के बिकने की भी बात सामने आ रही है। कर्मचारियों की मिलीभगत के चलते शहर में टिकटों की ब्लैकमेलिंग खुलेआम हो रही है। आलम ये है कि सौ का टिकट सात सौ से हजार, 200 का 1500 से 1700, 7500 का 4000 से 4500 रू में धड़ल्ले से बिक रहा है जिसे कोई रोकने वाला नहीं है।  
यूपीसीए ने मीडिया पास की जिम्मेदारी मो0 तालिब को दी थी पर यहां पर भी जुगाड़ ही हावी है। जिसके चलते मो0 तालिब बडे बैनर के अपने चहेते पत्रकारों को तो आसानी से पास दे ही रहे हैं साथ ही उनके कर्मचारियों को भी आराम से पास दिये जा रहे हैं। इसके अलावा टिकटों में भी उनका भरपूर कोटा है। पर अन्‍य छोटे बैनर के पत्रकारों को ठेंगा दिखाया जा रहा है। मीडिया प्रभारी द्वारा किए जा रहे इस व्यवहार से छोटे बैनर के पत्रकारों में भारी रोष देखने को मिल रहा है। हालाँकि मीडिया प्रभारी का कहना है बीसीसीआई की गाइड लाइन के अनुसार ही पास दिए जा रहे हैं और किसी मीडिया कर्मी को टिकटें नहीं दी जा रही हैं। कुल मिलाकर क्रिकेट प्रेमियों का कहना है कि यूपीसीए की चादर में दाग ही दाग हैं। मामला चाहे जो भी हो कानपुर में तो जिसके पास है जुगाड़ उसकी ही बल्ले बल्‍ले।