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राष्ट्राध्यक्षों से मिलने का नया रिकार्ड बनाएंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

नई दिल्ली 24 अक्टूबर 2015 (IMNB). ऐसे समय जब पश्चिमी देशों की मंदी की वजह से भारतीय निर्यातकों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है, भारत सरकार ने अफ्रीका के देशों में नई आक्रामकता से बाजार खोजने की पहल करने का फैसला किया है। इसका आगाज अगले हफ्ते से शुरू भारत-अफ्रीका सम्मेलन से होगा। इस अभियान की अगुवाई स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। मोदी अगले हफ्ते तीन दिनों में 40 देशों के राष्ट्राध्यक्षों से मिल कर एक नया रिकार्ड बनाएंगे।

यह बैठकें अफ्रीकी देशों के बाजार में चीन की बेहद मजबूत उपस्थिति को सबसे बड़ी चुनौती भी होगी। सूत्रों के मुताबिक सम्मेलन में वैसे तो 54 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। लेकिन इसमें 40 देशों के राष्ट्राध्यक्ष ही शामिल होंगे। इसलिए मोदी 28 से 30 अक्टूबर के बीच इन सभी के साथ अलग-अलग बातचीत करेंगे। विदेश मंत्रालय इन सभी देशों के साथ बातचीत का अलग-अलग एजेंडा तैयार कर रहा है। कुछ देशों को भारत निर्यात बढ़ाने के लिए विशेष कर्ज की पेशकश करेगा तो कुछ देशों के साथ अलग से व्यापारिक समझौता करने की तैयारी है। कई देशों में भारत की तरफ से नई औद्योगिक व निवेश परियोजनाएं लगाने का एलान किया जाना है। कई देशों के छात्रों को भारत में पढ़ाई के लिए नए वजीफे देने की घोषणा की जाएगी। जिन देशों के छात्रों को भारत में पढ़ाई के लिए पहले से छात्रवृत्ति दी जा रही है वहां से आने वाले छात्रों की संख्या अब बढ़ाई जाएगी। पीएम मोदी अपने पसंदीदा विषय गवर्नेस के तहत कुछ अफ्रीकी देशों की सरकारों को गवर्नेंस सुधारने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी की मदद पहुंचाने का भी एलान करेंगे।

सम्मेलन आयोजन से जुड़े सूत्रों के मुताबिक भारत की कोशिश यह भी है कि दोनों देशों के युवाओं के बीच लंबी अवधि के संपर्क स्थापित करने की नींव तैयार हो। यह इसलिए भी जरूरी है कि भारत की आबादी में युवाओं की हिस्सेदारी लगभग 65 फीसद है तो अफ्रीकी आबादी में 55 फीसद लोग युवा हैं। इनके बीच भारत की छवि बेहतर बनाने का यह सुनहरा मौका है क्योंकि यही लोग आगे चल कर लीडर बनेंगे। यह वजह है कि भारत वहां के युवाओं को शिक्षा, प्रशिक्षण आदि के लिए जमकर वजीफे देने जा रहा है। लेकिन इसके बावजूद भारत की नजर अफ्रीकी बाजार पर भी है। अफ्रीका के कई देश अगले दस वर्षो में विकासशील देशों की श्रेणी में शामिल होंगे। इन देशों में शिक्षा, तकनीकी, स्वास्थ्य जैसे सामाजिक क्षेत्रों में काफी निवेश होगा जो भारतीय कंपनियों के लिए कई मौके उपलब्ध कराएगा। सम्मेलन में अफ्रीका के ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग के नए युग की शुरुआत भी होगी। पेट्रोलियम उत्पादों से लबरेज इन अफ्रीकी देशों में भारत अपना निवेश काफी बढ़ाना चाहता है।