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छत्तीसगढ़ - कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन हैं बड़े भ्रष्टाचारी, कांग्रेस विधायक जन आंदोलन की कर रहे तैयारी

छत्तीसगढ़ 19 सितम्‍बर 2015 (जावेद अख्तर). छत्तीसगढ़ प्रदेश बनने के बाद से लेकर आज तक प्रदेश में "किसी कलेक्टर के खिलाफ जनआंदोलन" यह पहली बार होने जा रहा है। सूरजपुर में इस जनआंदोलन की तैयारी जोरों से चल रही है। सूत्रों के अनुसार, जनआंदोलन का नेतृत्व रामानुजगंज के कांग्रेस विधायक बृहस्पति सिंह करेंगे।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, सूरजपुर के कलेक्टर एलेक्स पाल मेनन के खिलाफ कांग्रेसी विधायक बृहस्पति सिंह ने भ्रष्टाचार और नक्सलियों से संबंध होने का आरोप लगाया है। इसी को आधार बनाकर वो सूरजपुर में 24 सितंबर 2015 दिन वृहस्पतिवार से जनआंदोलन शुरू करने जा रहे हैं। राजधानी रायपुर में पत्रकारों से चर्चा में श्री सिंह ने कहा कि पहले चरण में सूरजपुर के सभी गांवों और मुख्यालयों में जनआंदोलन किया जाएगा। जिले के सभी थानों में एलेक्स पाल मेनन के भ्रष्टाचार को लेकर और नक्सलियों से संबंध होने की एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। अगर सरकार तब भी नहीं जागती है, तो हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया जाएगा। बृहस्पति सिंह ने आगे कहा कि कलेक्टर के विरूद्ध सोशल मीडिया पर कैंपेन शुरू भी कर दिया गया है। अब तक कलेक्टर के घोटालों और गड़बड़ियों को लेकर सोशल मीडिया में 1 लाख से भी ज्यादा संदेश भेजे जा चुके हैं। इसका प्रदेश भर से बड़े पैमाने पर अच्छा समर्थन मिल रहा है और सोशल मीडिया पर जोरदार रिस्पॉन्स आ रहा है। उन्होंने यहाँ तक आरोप लगाया कि कलेक्टर नक्सलियों के साथ गुप्त मीटिंग करते हैं। उन्होंने कहा कि कलेक्टर एलेक्स पाल मेनन ने जिले के 86 हजार बच्चों के गणवेश खरीदी में बड़ा घोटाला किया है। शौचालय निर्माण के पैसों का दुरूपयोग करते हुए गबन किया है और 65 करोड़ के फर्नीचर खरीद में भी घोटाला किया है। इसकी शिकायत राज्यपाल से भी की जा चुकी है लेकिन अफसोस अबतक कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है। 

बृहस्पति सिंह ने बताया कि उन्‍होंने कल भी राज्यपाल से मिलने का समय मांगा गया था, लेकिन मुलाकात नहीं हो पाई। उन्होंने कहा कि कलेक्टर के खिलाफ प्रधानमंत्री से लेकर राज्यपाल और प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह तक शिकायत की गई, लेकिन सरकारी मशीनरी के आगे सभी नतमस्तक रहे और व्यापक घोटाले में किसी प्रकार की कोई जांच नहीं हुई है। इस मामले को लेकर कलेक्टर एलेक्स पाल मेनन से संपर्क करने की कोशिश भी की गई लेकिन संपर्क नहीं हो पाया है। 24 सितंबर 2015 से अगर जनआंदोलन शुरू होता है तो निश्चित रूप से ऐसे समय में राज्य सरकार की फिर से किरकिरी होगी क्योंकि राज्य सरकार पहले से ही कई बड़े घोटालों की दलदल में फंसी हुई है। इसमें और एक संख्या का बढ़ जाना राज्य सरकार को इसी दलदल में डुबाने के लिए काफी साबित हो सकता है।

प्रदेश के मुख्यमंत्री इन परिस्थितियों में क्या कदम उठाएंगे यह भी मायने रखता है। छत्तीसगढ़ के सरकार व सरकारी नुमाइंदों की कारस्तानियों से वैसे भी बीते एक वर्षों से रमन सरकार बुरी तरह घिरी हुई है, एक घोटाले की गूंज जैसे ही हल्की पड़ती है तभी दूसरा घोटाला उजागर हो जाता है, दूसरा हल्का हुआ तो तीसरा उजागर हो जाता है। यह क्रम ऐसे ही बीते एक वर्षों से लगातार जारी है। प्रदेश सहित देश में व विदेशों तक में अपनी किरकिरी करा चुकी राज्य की भाजपा सरकार फिर भी सुधरने की कोशिश नहीं कर रही है और न ही मंत्री, सचिव व उच्चाधिकारियों पर ही लगाम कसने की कवायद की जा रही है। सरकार के इसी रव्वैय्ये के चलते ही वह एक के बाद एक विवादों में घिर जाती है। सुप्रीम कोर्ट की फटकार, केन्द्र की लताड़ भी राज्य सरकार की कार्यप्रणाली में सुधार नहीं करवा पाई है। अब देखना यह है कि केन्द्रीय सरकार, प्रधानमंत्री व पार्टी के वरिष्ठ सदस्य मिलजुल कर बेलगाम व मनमानी करने वाली राज्य सरकार से कैसे निपटते हैं? क्या इस समस्या से निजात के लिए कोई कारगर कदम उठाते हैं या फिर से ढाक के तीन पात वाली स्थिति बरकरार रहती है।