मजदूर यूनियनों की देशव्यापी हड़ताल, जनता का हुआ हाल बेहाल
कानपुर 02 सितम्बर 2015 (सूरज वर्मा). मोदी सरकार के कार्यकाल में मजदूर यूनियनों की पहली देशव्यापी हड़ताल
आज शुरु हो गई। भारतीय मजदूर संघ और नेशनल फ्रंट ऑफ इंडियन ट्रेड
यूनियन को छोड़कर सभी पंजीकृत मजदूर यूनियनों के प्रतिनिधि इस हड़ताल में
शामिल हैं। ट्रेड यूनियनों की हड़ताल का असर पूरे देश में दिखाई दे रहा है। देश के
अलग-अलग राज्यों और शहरों में लाखों की संख्या में मजदूर सड़कों पर उतर पडे हैं।
कानपुर में हड़ताल के कारण पूरे शहर में चक्का जाम रहा। यूनियन के कर्मचारियों ने जन यातायात को प्रभावित करने का भी प्रयास किया। झकरकटी अन्तर्राजीय बस अड्डे पर आंदोलनकारियों ने बसों के पहियों की हवा निकाल दी जिससे बस अड्डे पर सन्नाटा पसरा दिखा। टेम्पो और सिटी बसों को रोके जाने के बाद चौराहों और सड़कों पर राहगिरों का हुजूम जमा हो गया। यहां-वहां जाने को लोग खड़खड़े तागें जैसे वाहनों और रिक्शों पर निर्भर दिखे। रिक्शे और टाँगे वाले मौके का फायदा उठाते हुये मनमाने रेट ले रहे हैं।
लखनऊ में मंगलवार की देर रात करीब एक बजे तक 80 फीसदी बसें हड़ताल पर चली गईं।
केसरबाग और चारबाग में ड्राइवर व कंडक्टरों ने बसों का चक्का जाम कर दिया।
कैसरबाग बस अड्डे पर पुलिस ने नेताओं को खदेड़ा तो ड्राइवर बसें छोड़कर
चले गए। इस हड़ताल के मद्देनजर देश के विभिन्न हिस्सों में भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है। विचारणीय है कि किसी यूनियन नेता को आम आदमी की कोई भी चिन्ता नहीं हुयी। आज बहुत सारे ऐसे लोग भटकते दिखे जो हॉस्पिटल जाने को घर से निकले थे या नौकरी पर जाने के लिये सार्वजनिक यातायात के भरोसे थे। सरकार से मांगें मनवाने के चक्कर में कितनों की बली चढेगी ये तो वक्त बतायेगा