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रायपुर - प्राइवेट नर्सिंग होम ने किया नियमों को दरकिनार, विभाग की उदासीनता या फिर हो रहा है भ्रष्टाचार

रायपुर/छत्तीसगढ़ 24 अगस्‍त 2015 (जावेद अख्तर). रायपुर जिले में कई डॉक्टरों ने अपनी मर्जी से आवासीय क्षेत्र में नर्सिंग होम खोल लिए हैं। कुछ ने नगर निगम से अनुमति ली है, लेकिन नर्सिंग होम भवन का विस्तार अपने मन मुताबिक करवा लिया। नर्सिंग होम एक्ट के लिए आवेदन करने वाले 13 नर्सिंग होम और 1 लैब की फाइल मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय से नगर निगम को ले-आऊट जांच के लिए भेजी गई थी, जिसमें ये खुलासा हुआ है।

प्राप्‍त जानकारी के अनुसार 13 में से सिर्फ एक नर्सिंग होम निगम द्वारा पास ले-आऊट पर बना है। खुलासा टीवी छत्तीसगढ़ को मिली जानकारी के मुताबिक निगम ने साफ-साफ लिखकर फाइल वापस सीएमएचओ कार्यालय भेजी दी है कि 'जोन कार्यालय से प्राप्त प्रतिवेदन के अनुसार भवन निर्माण आवासीय होने एवं अनाधिकृत निर्माण होने के कारण नियमानुसार नर्सिंग होम हेतु अनुमति नहीं दी जाती है'। अब यह फाइल नर्सिंग होम्स पर कार्रवाई के लिए स्वास्थ्य संचालक और सचिव स्तर तक जा सकती है, क्योंकि यह प्रकरण राजधानी रायपुर के बड़े व नामी नर्सिंग होम्स का है। इसीलिए अधिकारियों के कार्रवाई करने में हाथ पांव कांप रहे हैं कि कहीं लेने के देने न पड़ जाएं? गौरतलब है कि अब तक महज़ 34 नर्सिंग होम्स को नर्सिंग होम लाइसेंस जारी हो चुका है, जबकि इनकी संख्या सैकड़ों में है। अधिकांश नर्सिंग होम्स के लाइसेंस सिर्फ ले-आऊट की जानकारी स्पष्ट न होने की वजह से जारी नहीं हो पा रहे हैं।
पहले सिर्फ नगर निगम के फायर शाखा, रेडिएशन सेफ्टी एक्ट के तहत एआरबी एनओसी और पर्यावरण मंडल की एनओसी ही अनिवार्य थी, लेकिन बाद में इसमें निगम से पास ले-आऊट की एनओसी भी जोड़ दी गई। जिसकी वजह से नर्सिंग होम्स संचालक मुसीबत में आ गए हैं। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, 80 फीसदी से अधिक नर्सिंग होम्स के पास नगर निगम से नर्सिंग होम संचालन के लिए पास ले-आउट नहीं है मगर राजनीति में ऊंची पकड़ के चलते ऐसे नर्सिंग होम्स बेधड़क होकर संचालित हो रहें हैं। इस अवैधानिक कृत्यों के चलते ही वर्तमान समय में प्राइवेट नर्सिंग होम्स में ईलाज के नाम पर जमकर लूटमारी की जा रही है। दूरदराज से मरीजों के लिए नर्सिंग होम्स के लम्बे चौड़े बिलों के कारण बराबर ही वाद विवाद की स्थिति सामने आती ही रहती है। 

प्राइवेट नर्सिंग होम्स में नर्सिंग एक्ट का खुला उल्लंघन किया जा रहा है। इलाज के नाम पर गरीबों को निचोड़ लिया जा रहा है, दवाओं व ईलाज की जानकारी मांगने पर भी पूरी जानकारी नहीं दी जा रही है जबकि नर्सिंग एक्ट के तहत प्रावधान है कि मरीज के परिजन को यह जानने का पूरा अधिकार है कि ईलाज क्या किया जा रहा है, दवाएं कौन सी दी जा रही है, और कितनी मात्रा में दवाएं दी जा रही है। मगर राजधानी के 90 फीसदी बड़े प्राइवेट नर्सिंग होम्स में इस प्रावधानों का उल्लंघन किया जाता है, परिजन जब जानकारी दी मांगते हैं तब मरीज की स्थिति और दुनिया भर के बहाने बना कर जानकारी नहीं दी जाती है। ज्यादा जोर देने पर मरीज को अस्पताल से निकाल देने की धमकी चमकी दी जाती है। इलाज के पैसों के लिए इतना अधिक दबाव बनाया जाता है कि मरीज के परिजनों की स्थिति बिगड़ जाती है। हल्के फुल्के ईलाज में ही बिल एक से डेढ़ लाख रुपये तक पहुंचा दिया जाता है। शासन द्वारा जारी स्मार्ट कार्ड में जितने भी रूपए होतें हैं उस पूरी रकम को 24 से 48 घंटों में ही साफ कर दी जाती है मगर जब खर्च का ब्यौरा और डॉक्टर द्वारा ईलाज की जानकारी मांगी जाती है तो उसे किसी न किसी बहाने चलता कर देते हैं। प्राइवेट नर्सिंग होम्स वर्तमान समय में सबसे अधिक मुनाफा कमाने वाला व्यवसाय बन गया है तथा डॉक्टर अब पूरी तरह व्यवसायी बन चुके हैं। उन्हें मरीज व ईलाज की बजाए पैसों की अधिक चिंता रहती है।

इन नर्सिंग होम्स के भवन अनाधिकृत
1- सौभाग्य हॉस्पिटल, खमतराई
2- अरिहंत हॉस्पिटल, दुबे कॉलोनी मोवा
3- माता लक्ष्‌मी नर्सिंग होम, टीवी टॉवर के पास शंकर नगर
4- अनुपम हॉस्पिटल, मोवा
5- पटेल नर्सिंग होम, सिविल लाइन्स
6- श्री कृष्णा हॉस्पिटल, न्यू राजेंद्र नगर
7- स्वास्तिक नर्सिंग होम, श्याम नगर तेलीबांधा
8- गायत्री हॉस्पिटल, डगनिया
9- आशीर्वाद हॉस्पिटल एवं टेस्ट टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर, डगनिया
10- मन्नु लाल मेमोरियल मेडिकल सेंटर, लाखेनगर चौक
11- लैब वन मेट्रोपोलिस हेल्थ केयर सेंटर, रायपुर
12- श्री राम हॉस्पिटल, डगनिया
13- अहलुवालिया नर्सिंग होम, गंजपारा, रायपुर भी शामिल है।
    
नर्सिंग होम्स ने टाउन एंट कंट्री प्लानिंग के नियमों का उल्लंघन किया है। अवैध ढंग से नर्सिंग होम का विस्तार, निर्माण करवाया जाना पाया गया है। लाइसेंस न देने के लिए स्वास्थ्य विभाग को लिखा है। - एम.एन ठाकुर, नगर निवेशक, नगर निगम रायपुर
  

नगर निगम को 13 नर्सिंग होम और 01 लैब की फाइल भेजी गई थी। 13 में से 12 नर्सिंग होम के निर्माण को निगम ने अनाधिकृत करार दिया है। मार्गदर्शन के लिए फाइल संचालक को भेजी जाएगी। - डॉ. अविनाश चतुर्वेदी, जिला नोड्ल अधिकारी, नर्सिंग होम एक्ट

मगर अभी तक फाइल क्यों नहीं भेजी गई है? इसका उत्तर देने में अधिकारियों ने असमर्थता जता दी है। इससे संभावना मानी जा सकती है कि विभाग के अधिकारियों ने नर्सिंग होम्स को छूट दे रखी थी जिसके कारण काफी समय से रिहायशी इलाकों में प्राइवेट नर्सिंग होम्स का संचालन बेधड़क होकर किया जा रहा था। जबकि इन प्राइवेट नर्सिंग होम्स में ईलाज के नाम पर काफी भारी राशि ली जाती है मगर सुविधाएं उस खर्च के अनुपात में काफी कम दी जाती है और नर्सिंग होम्स में कार्यरत स्टाफ़ अधिकांश मामलों में रव्वैया गैरजिम्मेदाराना और लापरवाही वाला होता है। कई बार इसका खामियाजा मरीज को अपनी जान देकर चुकाना पड़ता है। राजधानी में संचालित हो रहे बड़े नर्सिंग होम्स में इस प्रकार की शिकायतों का अंबार लगा रहता है मगर बड़े व नामी डॉक्टरों की पकड़ ऊपर तक होने से कार्यवाही नहीं हो पाती है।

कई नर्सिंग होम्स ने अपने कई ऊलजलूल नियम तक बना रखे हैं जिसके तहत मरीजों की पूरी जानकारी नहीं देते हैं । सोचिए इंसान को किस कदर मजबूर कर दिया जाता होगा ताकि वह सिर्फ इलाज के पैसों की व्यवस्था ही करता रहे मगर उसे इलाज की न ही जानकारी दी जाती है और न ही मरीज को देखने दिया जाता है। यह प्रक्रिया राजधानी के लगभग सभी प्राइवेट नर्सिंग होम्स में अपनाई जाती है। इतने अधिक टेस्ट करवाए जाते हैं कि परिजनों को ऐसा महसूस होने लगता है कि उसके मरीज की स्थिति दयनीय व अत्यधिक गंभीर है। चूंकि नर्सिंग होम्स के संचालक चाहते भी ऐसा ही है कि परिजनों को यह लगे कि उनका मरीज मरणासन्न अवस्था में है अब अगर कोई कुछ कर सकता है तो वह है डॉक्टर, इसलिए बेचारे परिजन अपने मरीज को बचाने के लिए खुद तक को बेच देते हैं। बड़े व नामी प्राइवेट नर्सिंग होम्स में प्रतिदिन ऐसा देखने में आया कि यहाँ तो रोज़ ऐसा किया जा रहा है और शासकीय विभाग अपने कान व आखों को बंद किए बैठा हुआ है क्योंकि हाथ मिलाने और चाय पीने से सबकुछ नियमानुसार हो रहा है।