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रायपुर - महिला दरोगा से छेड़छाड़ पडी भारी, निलम्बित हुये एआईजी छिनी जिम्‍मेदारी

रायपुर 13 अगस्‍त 2015(जावेद अख्तर). राज्य की राजधानी रायपुर में एक बार फिर से लैंगिक भेदभाव व महिला कर्मियों के साथ छेड़छाड़ किए जाने का मामला प्रकाश में आया है। एआईजी संजय शर्मा को एक महिला सब इंस्पेक्टर के साथ छेड़छाड़ करने के आरोप में निलंबित कर दिया गया। मंगलवार को गृह विभाग के उप-सचिव डीके माथुर ने यह आदेश आंतरिक शिकायत समिति के जांच प्रतिवेदन के आधार पर जारी किया।

समिति की जांच रिपोर्ट में 7 अप्रैल 2015 को शर्मा द्वारा महिला कर्मचारी के साथ अश्लीलता पूर्वक की गई छेड़छाड़ की पुष्टि की गई है। राज्य पुलिस सेवा के अफसर श्री शर्मा को कार्यस्थल पर महिलाओं का लैंगिक उत्पीड़न [निवारण, प्रतिषेध उवं प्रतितोष)] अधिनियम, 2013 की धारा 2 की कंडिका [ढ] [पांच] में उल्लेखित लैंगिक प्रकृति का कोई अन्य अस्वीकार्य शारीरिक, मौखिक अथवा शाब्दिक आचरण के अनुसार उत्पीड़न श्रेणी का पाया गया। उन पर कार्यस्थल पर महिलाओं का लैंगिक उत्पीड़न [निवारण, प्रतिषेध एवं प्रतितोष] अधिनियम, 2013 की धारा 13 [3][आई] के अनुसार आंतरिक शिकायत समिति ने छत्तीसगढ़ सिविल सेवा [आचरण] नियम 1965 के नियम का उल्लंघन करना पाए जाने पर दण्ड दिए जाने की अनुशंसा की है। इस आधार पर उन्हें सहायक पुलिस महानिरीक्षक गुप्तवार्ता के पद से हटाकर पुलिस मुख्यालय में अटैच कर दिया गया है। 

सोनल मिश्रा ने की थी जांच
शर्मा के खिलाफ डीआईजी प्रशासन सोनल मिश्रा की अध्यक्षता में जांच समिति बनाई गई थी। श्रीमती मिश्रा ने जांच रिपोर्ट आला-अधिकारियों को जुलाई के पहले हफ्ते में सौंप दी थी। तभी से शर्मा के खिलाफ कार्रवाई होने की अटकलें लगनी शुरू हो गई थी। महिला एएसआई ने डीजीपी एएन उपाध्याय से इसकी शिकायत की थी। उपाध्याय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच विशाखा गाइड लाइन के तहत डीआईजी प्रशासन सोनल मिश्रा को सौंप दी। 

अश्लील एसएमएस और भद्दी टिप्पणी करते थे शर्मा
पुलिस मुख्यालय के आला अधिकारियों के मुताबिक, महिला सब-इंस्पेक्टर ने आरोप लगाया था कि पुराने पीएचक्यू में एआईजी संजय शर्मा ने छेड़छाड़ की। शिकायत के मुताबिक लिफ्ट को रोककर महिला के साथ दुर्व्यवहार किया गया। महिला सब-इंस्पेक्टर ने अपनी शिकायत में यह भी कहा था कि संजय शर्मा उनको लगातार अश्लील एसएमएस भेजते थे। यही नहीं, दफ्तर में कई बार भद्दी टिप्पणी भी करते थे। 

क्या है विशाखा गाइडलाइन
विशाखा गाइडलाइन वर्ष 1997 में अस्तित्व में आई थी। कामकाजी महिलाओं की सुरक्षा और यौन उत्पीड़न रोकने के लिए इसे लागू किया गया। इसके अनुसार शिकायत का निपटारा करने के लिए सरकारी दफ्तर और प्राइवेट कंपनी में महिला कमेटी बनाना अनिवार्य है। इसकी अध्यक्षता न सिर्फ कोई महिला कर्मी करेगी, बल्कि इसकी आधी सदस्य महिलाएं होंगी। इस दिशा-निर्देश के तहत सरकारी संस्थान और कंपनी की यह जिम्मेदारी होती है कि वह दोषी के खिलाफ कार्रवाई करे।