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छत्तीसगढ़ - घोटाले के बाद फिर से नमक वितरण के बहाने, अब रिफाइंड आयोडिन नमक को भी चले चबाने

छत्तीसगढ़ 1 अगस्‍त 2015 (जावेद अख्तर). राज्य सरकार ने बीते दिनों प्रदेश के गरीब व आदिवासियों के लिए नमक वितरण योजना बनाई थी, जिसके तहत 90 करोड़ रुपये की अमृत नमक की खरीद प्रति वर्ष की गई थी, जिसमें राज्य सरकार व अधिकारियों ने मिलकर अमृत नमक में सेंध लगाई थी और गरीबों के नमक वितरण में खुलेआम भ्रष्टाचार किया गया था। पत्रकार जावेद अख्तर के खुलासों के बाद अमृत नमक वितरण पर रोक लगा दी गई थी और शासन ने जांच कराने की बात कही थी मगर कई माह बीत जाने के बाद भी आज तक नमक घोटाले की न ही जांच की गई और न ही दोषियों पर कार्रवाई की गई।
अमृत नमक घोटाले के बाद राज्य सरकार ने रिफाइंड आयोडिन नमक वितरण हेतु नई योजना को लागू करने की तैयारी कर ली है क्योंकि अमृत नमक में घोटाले के बाद से प्रदेश में नमक वितरण भगवान भरोसे है। राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ के 60.28 लाख गरीब परिवारों को 1 अक्टूबर 2015 से निःशुल्क रिफाइंड आयोडिन नमक का वितरण करने का फैसला लिया है। राज्य सरकार ने गरीब परिवारों को आयोडाइज्ड नमक के स्थान पर पहली अक्टूबर से निःशुल्क रिफाइंड आयोडाइज्ड नमक वितरित करने का निर्णय लिया है, इस पर लगभग 83 करोड़ 23 लाख रूपए का वार्षिक व्यय अनुमानित है। यह निर्णय मंत्रालय में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में लिया गया था और बैठक के बाद फैसले की जानकारी दी गई कि प्रदेश में वर्तमान में छत्तीसगढ़ खाद्य एवं पोषण सुरक्षा अधिनियम 2012 के प्रावधानों के तहत अन्त्योदय परिवारों और प्राथमिकता वाले परिवारों को राशन कार्ड पर हर महीने 2 किलो निःशुल्क आयोडाईज्ड अमृत नमक उचित मूल्य दुकानों से दिया जा रहा है। लगभग 60 लाख 28 हजार राशन कार्ड धारक परिवारों को इसका लाभ मिल रहा था उन्हें प्रतिवर्ष 1 लाख 44 हजार मीट्रिक टन आयोडाईज्ड अमृत नमक की आवश्यकता होती है। राज्य सरकार इस पर सालाना 73 करोड़ 15 लाख रूपए का अनुदान देती है। 
इस समय मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, गुजारात और तमिलनाडू सहित कुछ अन्य राज्यों में भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत रिफाइंड आयोडाईज्ड नमक वितरित किया जा रहा है। इसी तर्ज पर छत्तीसगढ़ सरकार ने भी अपने यहां के गरीब परिवारों को रिफाइंड आयोडाईज्ड नमक वितरित करने का निर्णय लिया, यह नमक राज्य के अनुसूचित विकासखंडों में हर महीने प्रति परिवार 2 किलोग्राम और गैर अनुसूचित विकासखंडों में हर महीने प्रति परिवार 1 किलोग्राम के हिसाब से दिया जाएगा। इसके लिए राज्य में 1 लाख 02 हजार मीट्रिक टन आयोडाईज्ड नमक का वितरण किया जाएगा, जिस पर 83 करोड़ 23 लाख रूपए का वार्षिक व्यय अनुमानित है। जो वर्तमान व्यय भार से 10 करोड़ अधिक होगा। आयोडाईज्ड रिफाइंड नमक के लिए निविदा आदि की प्रक्रिया पूर्ण कर 1 अक्टूबर 2015 से इसका वितरण किया जाएगा। इस बार नमक वितरण में कितना बड़ा खेल खेला जाएगा यह तो समय ही बताएगा मगर अमृत नमक में लूटमार पूरी तरह सफल रही है, सो विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों के हौसले बुलंद हैं। विभाग के अधिकारियों ने अमृत नमक के स्थान पर खराब हो चुके और मानव शरीर के लिए घातक स्तर के नमक को प्रदेश की गरीब जनता में बांट दिया, अमृत नमक खाने के कारण कई लोगों की तबीयत बिगड़ गई और कुछ को उल्टी दस्त शुरू हो गई थीं। पीड़ितों की जांच के बाद यह घिनौना सच बाहर आया था कि राज्य सरकार व अधिकारियों ने अमृत नमक बोलकर जहरीला नमक छत्तीसगढ़ी गरीब और आदिवासी जनता को खिलाया था। इस बार भी इंतेज़ार कीजिए कि रिफाइंड आयोडीन नमक के नाम पर कौन से घटिया स्तर का नमक गरीब और आदिवासियों को राज्य सरकार खिलाती है? वैसे छत्तीसगढ़ राज्य सरकार के बढ़ते भ्रष्टाचार के क्रम के मुताबिक अंदाजा लगाया जा सकता है कि पिछले बार अमृत नमक से सिर्फ बीमार हुए थे, इस बार रिफाइंड आयोडिन नमक से दो चार सौ छत्तीसगढ़ी गरीब और आदिवासी निपट ही जाएंगे। 
वैसे भी राज्य सरकार छत्तीसगढ़ी आदिवासियों को निपटाने में काफी माहिर है। नक्सली के नाम पर, फर्जी तरीके से, गर्भाशय कांड, अंखफोड़वा कांड और फिर नसबंदी कांड आदि जानलेवा योजनाएं थी, बाकी दो चार छत्तीसगढ़ी आदिवासियों को प्रभावित करने वाली योजनाओं को गिन पाना मुश्किल है इसलिए इसको दरकिनार कर दो क्योंकि राज्य सरकार की नई योजनाओं से दो चार तो ऐसे ही मर जाते हैं इसलिए राज्य सरकार अब दो चार मौतों को लापरवाही या भ्रष्टाचार के स्तर में नहीं मानती है, राज्य सरकार के भ्रष्टाचार और कुशासन का स्तर काफी ऊंचा और बड़ा हो चुका है इसलिए जब दस बीस की बलि चढ़ती है तब ही कांड माना जाता है अन्यथा हमारे मंत्रीगण इसे रूटीन की घटना बोलकर निकल जाते हैं। वैसे भी राज्य सरकार ने घटना पर दुख तो प्रकट कर ही दिया था अब इससे अधिक और क्या कर सकती है ''बेचारी सरकार''।