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छत्तीसगढ़ - गरीब बच्चों की सहायतार्थ राशि में गबन, फर्जी एनजीओ बनाकर 20 लाख हज़म

छत्तीसगढ़ 28 जुलाई 2015 (जावेद अख्तर). छत्तीसगढ़ की ऊर्जा नगरी कोरबा को भ्रष्टाचार द्वारा एक बार फिर कलंकित किया जा रहा है। दरअसल गरीब तबके के बच्चों के लिए, गैर सरकारी संस्‍थाओं को प्रत्येक वर्ष समाज कल्याण विभाग से राशि प्राप्त होती है मगर भ्रष्टाचारियों ने शासन से मिलने वाली सहायतार्थ राशि में ही षड्यंत्र करके 20 लाख रुपये का गबन कर दिया और अफसोस कि इस फर्जीवाड़े में राजधानी रायपुर का एक पत्रकार भी शामिल है।
प्राप्‍त जानकारी के अनुसार इस पत्रकार की भूमिका 50 फीसदी हिस्से की है। यह पत्रकार एक अंग्रेजी दैनिक अखबार में रायपुर क्षेत्र से कार्यरत हैं। जब पत्रकार ही ऐसी घटिया करतूतों में भागीदारी निभाने लगे और फर्जीवाड़े में बराबर की भूमिका अदा करने लगे तो ऐसे पत्रकारों से क्या उम्मीद करना कि यह कुछ अच्छा भी कर सकते हैं। यह दैनिक अंग्रेज़ी अखबार, काफी नामी व पुराना अखबार है और देश भर में इस अंग्रेज़ी अखबार की छवि साफ सुथरी है मगर दुखद पहलू है कि शायद अब इस दैनिक अंग्रेज़ी अखबार पर भी दाग लगने वाला है। ऐसे बड़े व नामी दैनिक अंग्रेजी अखबार ने रायपुर में ऐसा पत्रकार रखा हुआ है जो बीते तीन वर्षों से लगातार गरीब व अनाथ बच्चों की सहायतार्थ राशि में घोटाला कर रहा है, यह अत्यंत शर्मनाक भी है। कुछ बिकाऊ व दलाली करने वाले लोग पत्रकार का चोला ओढ़कर समाज के बीच रहते हुए भ्रष्टाचार कर रहे हैं। संभवतः समाज कल्याण विभाग के बिकाऊ व भ्रष्ट अधिकारी इस दलाल रूपी पत्रकार की दोनों संस्थाओं को इस बार फिर से टेंडर दे दिया जाएगा क्योंकि समाज कल्याण विभाग में सिर्फ भ्रष्टाचारियों का ही कल्याण होता है, इस विभाग में मानवता सबसे अधिक शर्मसार हो रही है और लगातार बारम्बार हो रही है मगर विभाग की मंत्री व सचिव मुंह में दही जमाये बैठे हैं। राज्य में बढ़ते भ्रष्टाचार और घोटालों की संख्या में एक और फर्जीवाड़े का इजाफा हुआ है। इस फर्जीवाड़े को कोरबा जिले में दो संस्थाओं के माध्यम से किया गया है। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 (आरटीआई) में प्राप्त दस्तावेजों से इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। यह मामला समाज कल्याण बोर्ड से संबंधित है। गौरतलब रहे कि केंद्र सरकार द्वारा गरीब तबके के बच्चों की शिक्षा, भोजन और खेलने के लिए खिलौनों की सहायता के लिए एक योजना वर्ष 2010-11 में पारित की गई थी। जिसके तहत गैर सरकारी संस्थाओं के माध्यम से इस योजना को बड़े जिलों में क्रियान्वयन करना था। इसी नियम के तहत, समाज कल्याण बोर्ड ने वर्ष 2011-12 में निविदा निकाली जिसमें कई गैरसरकारी संस्थानों ने हिस्सा लिया था। इस निविदा में आल पर्पज़ प्रोग्रेसिव सोसायटी, रायपुर और सहयोग श्रमिक नारी एवं बाल विकास कल्याण समिति, कोरबा नामक दो संस्थाओं ने भी हिस्सा लिया था। योजना में प्रत्येक वर्ष में दो वर्ग में, तीन लाख उन्तालीस हज़ार रुपए (3,39,000/-) और दो लाख अड़सठ हज़ार छः सौ छियासी (2,68,686/-) की प्रस्तावना राशि निर्धारित की गई थी। योजनानुसार बजट सत्र वर्ष 2011-12 में आल पर्पज़ प्रोग्रेसिव सोसायटी को रू.3,39,000/- तथा सहयोग श्रमिक नारी एवं बाल विकास कल्याण समिति, कोरबा को रू.3,39,000/- की राशि दी गई। बजट सत्र वर्ष 2012-13 में आल पर्पज़ प्रोग्रेसिव सोसायटी को रू.3,39,000/- तथा सहयोग श्रमिक नारी एवं बाल विकास कल्याण समिति, कोरबा को रू.3,39,000/- की राशि तथा बजट सत्र वर्ष 2013-14 में भी आल पर्पज़ प्रोग्रेसिव सोसायटी को रू.3,39,000/- और सहयोग श्रमिक नारी एवं बाल विकास कल्याण समिति, कोरबा को रू.3,39,000/- की राशि दी गई है। आल पर्पज़ प्रोग्रेसिव सोसायटी, रायपुर संस्था को इस योजना के अंतर्गत तीन वर्ष में कुल राशि रू.10,17,000/- (दस लाख सत्रह हज़ार रुपए) दी गई एवं सहयोग श्रमिक नारी एवं बाल विकास कल्याण समिति, कोरबा को भी तीन वर्ष में कुल राशि रू.10,17,000/-(दस लाख सत्रह हज़ार रुपए) दी गई है यानि कि इन दोनों समितियों को मिलाकर तीन वर्ष में कुल राशि रू.20,34,000/-(बीस लाख चौतीस हज़ार रुपए) प्रदान की गई है। 

आल पर्पज़ प्रोग्रेसिव सोसायटी का कार्यालय सुंदर नगर, रायपुर और सहयोग श्रमिक नारी एवं बाल विकास कल्याण समिति का कार्यालय जिला कोरबा में दर्ज है। लेकिन जांच करने पर दोनों ही स्थानों पर कार्यालय नहीं पाया गया है। और न ही संस्था का कुछ अता पता है और न ही संस्था के नाम का बोर्ड लगा था। कार्यालय के आसपास पूछताछ करने पर जानकारी मिली कि यहाँ पर बीते 8 वर्षों में "आल पर्पज़ प्रोग्रेसिव सोसायटी" तथा "सहयोग श्रमिक नारी एवं बाल विकास कल्याण समिति" नाम कोई संस्था संचालित नहीं की जा रही है। दस्तावेज में दर्ज स्थायी पते पर भी जांच की गई मगर उक्त दोनों स्थानों पर संस्था की कोई जानकारी प्राप्त नहीं हुई है और न ही संस्था के नाम का कोई बोर्ड लगा हुआ पाया गया। और तो और प्राप्त दस्तावेजों में दर्ज पते के पास पड़ोस के लोगों से भी बातचीत की गई मगर किसी एक व्यक्ति को भी संस्था का नाम नहीं पता है और न ही समिति के संचालक साधीराम साहू और गोपाल कृष्ण साहू के नाम तक की कोई जानकारी है। जबकि लगभग 60 से भी अधिक लोगों से समिति के संबंध में बातचीत की गई और सभी लोग बीते 10 वर्षों से इसी नियत स्थान पर निवास कर रहे हैं। कुछ तो बेहद लम्बे अरसे से रहवासी हैं। 

प्राप्त दस्तावेज में "आल पर्पज़ प्रोग्रेसिव सोसायटी, रायपुर" संस्था के दस्तावेज में 7 सदस्यों के नाम व पते दर्ज हैं और "सहयोग श्रमिक नारी एवं बाल विकास कल्याण समिति, कोरबा" संस्था के दस्तावेज में 8 सदस्यों की संख्या दर्ज है। जांच में यह बात सामने आई कि आल पर्पज़ प्रोग्रेसिव सोसायटी, रायपुर संस्था में 6 सदस्य फर्जी पाए गए हैं। नाम, पता व अन्य जानकारियां सभी पूरी तरह फर्जी है, और 1 सदस्य सही पाया गया मगर जब उससे इस संबंध में पूछा गया तो उसने इस बात से इंकार किया है। उस सदस्य का कहना है कि संस्था में मेरा नाम कैसे दर्ज किया गया है? और मुझे इस संबंध में कोई जानकारी ही नहीं है? मैं संस्था के संचालक के विरूद्ध एफआईआर दर्ज कराऊंगा। "सहयोग श्रमिक नारी एवं बाल विकास कल्याण समिति, कोरबा" संस्था के 5 सदस्यों की जांच की गई जिसमें 3 सदस्य फर्जी पाए गए हैं। नाम, पता व अन्य सभी जानकारियां फर्जी निकली है और 2 सदस्य सही पाए गए और एक सदस्य जो कि "साधीराम साहू और गोपाल कृष्ण साहू" संभवतः संचालक भी है उसने इस संबंध में बात करने से इंकार कर दिया। संस्था के बोर्ड का पूछने से ही संस्था का संचालक बहस करने लगा और देख लेने की धमकी तक दे डाली। संचालक ने कहा कि जब राज्य की सरकार, मंत्री, सचिव और उच्च अधिकारी इतने बड़े बड़े घोटाले कर रहें हैं तो उनकी जांच करने की बजाए छोटे संस्थान की जांच क्यों कर रहे हो? तुरन्त यहाँ से चलते बनो वरना तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा। तुम मुझे जानते नहीं हो। मेरी पहुंच बहुत ऊपर तक है। फोन लगा दूंगा तो लेने के देने पड़ जाएंगे, इत्यादि। फिर भी औपचारिकतावश सिर्फ संस्था के सदस्यों के संबंध में पूछ भर लिया कि संस्था का संचालक अपनी औकात पर आ गया और तू तू मैं मैं करने लगा। संचालक का कहना था कि इन दोनों संस्थाओं में राजधानी के एक बड़े पत्रकार की 50 प्रतिशत की साझेदारी है, और 20 प्रतिशत समाज कल्याण बोर्ड वाले भी तो लिए हैं, और जो भी हैं सब ने अपना अपना कमीशन लिया है। इसलिए तुम्हें जो कुछ भी उखाड़ना है उखाड़ लेना। जो भी लिखना है लिख देना। मुझे किसी के बाप का डर नहीं है। जिसको ज्यादा समाजसेवा का भूत चढ़ा हो वो जाए कोर्ट में और मेरे विरूद्ध केस कर दे। तब मैं कोर्ट में ही निपट लूंगा। जो भी आएगा सब से निपट लूंगा। मेरा भाई खुद कोरबा न्यायालय में पुराना वकील है और एक भाई पत्रकार है बाल्को का। जब बाल्को का कुछ नहीं उखाड़ पाए तो मेरा क्या उखाड़ लोगे। केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार सबकी असलियत जानता हूँ, कौन कितने पानी में है। 

यह तो एक छोटा सा उदाहरण मात्र है राज्य में बढ़ते भ्रष्टाचार, धांधली, घोटालों का। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य में भ्रष्टाचारियों के हौसले किस कदर बढ़ चुके हैं। कि भारतीय संविधान पर भी अश्लील और भद्दी गाली देने तक में नहीं हिचकते हैं। राज्य सरकार, उच्च अधिकारीगण और समाज कल्याण बोर्ड के अफसरों और क्लर्कों को उसने अपने शब्दों में ऐसा तौला है जिसको लिख पाना संभव नहीं है। समझदार के लिए ईशारा ही काफी है, सो समझ लीजिए या अंदाज़ा लगा लीजिए। वैसे इतना तो स्पष्ट है कि समाज कल्याण बोर्ड में भ्रष्टाचार के ऐसे ऐसे घिनौने खेल खेले जा रहें हैं जिससे मानवता शर्मसार हो जाए। केंद्र सरकार ने इस योजना को लागू किया ताकि गरीब बच्चों को कुछ सहायता मिल सके, भोजन मिल सके, उचित शिक्षा मिल सके ताकि राष्ट्र का भविष्य उज्ज्वल हो सके, उन गरीब बेसहारा बच्चों का भविष्य उज्ज्वल हो सके। और साथ ही साथ खेलने कूदने से उनका बौद्धिक विकास उचित और अच्छा हो सके। मगर केंद्र की योजना कागज़ों में ही सिमट कर रह गई और योजना के मद से प्राप्त राशि को साधूराम साहू, गोपाल कृष्ण साहू जैसे लोग अपने जीवन यापन में उपयोग कर सुख भोग रहे हैं। इन जैसे लोगों की वजहों से ही राष्ट्र और समाज की ऐसी मरियल स्थिति हो गई है, तथा और दुर्गति होती ही जा रही है। शायद इन जैसों के अंदर न ही अंतरात्मा बाकी होती है और न ही स्वाभिमान। जो गरीब बच्चों का निवाला छीन लेता हो, जो बेहद गरीब बच्चों के खिलौने चुरा लेता हो, क्या उसे मानव कहना उचित होगा? क्या उसे उसके इस कृत्य के लिए दण्ड नहीं मिलना चाहिए? राज्य सरकार और समाज कल्याण बोर्ड के सचिव और वरिष्ठ अधिकारियों से अपील है कि इन दोनों संस्थाओं के विरुद्ध त्वरित जांच कराई जाए और दोषी पाए जाने पर इनके संचालकों को बख्शा न जाए। सरकार इस पर क्या कार्रवाई करेगी यह तो समय ही बताएगा मगर समाज में रहने वाले बुद्धिजीवी क्या कार्रवाई करेंगे, यह अधिक महत्वपूर्ण है। आप सभी को मिल कर एक बार अवश्य सोचना चाहिए, गहन विचार विमर्श करना चाहिए। क्योंकि यह केवल इन दोनों की बात नहीं है बल्कि समाज में रह कर ऐसे अनैतिक कार्य करने वाले हरेक भ्रष्टाचारियों जैसों की बात है? सोचिए, विचार करिए क्योंकि यह समाज हमारा है, राष्ट्र हमारा है और राष्ट्र या समाज किसी एक से नहीं बल्कि हरेक देशवासियों से मिलकर ही बनता है। इसलिए समाज को दूषित करने का अधिकार किसी को नहीं है?  इसलिए राज्य सरकार इस मामले को संज्ञान में लेकर जल्द से जल्द कारवाई करे एैसी हमारी अपेक्षा है। 
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