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मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का चमत्कार, बालोद स्वास्थ्य विभाग में खुलेआम किया गया भ्रष्टाचार

रायपुर/छत्तीसगढ़ 22 जुलाई 2015 (जावेद अख्तर). बालोद के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में हुई भर्तियों में व्‍यापक भ्रष्टाचार किए जाने की सूचना प्राप्त हुई है। सूत्रों के अनुसार मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने अपनी मनमर्जी के अनुसार विभाग में कार्यरत कर्मचारियों के सगे संबंधियों को नौकरियों पर रख लिया था । जिसकी शिकायत तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल से भी की गई थी। शिकायत के बाद मंत्री ने जांच के निर्देश दिए थे, मगर जांच आज तक नहीं हो पाई और अब तो स्वास्थ्य विभाग के मंत्री भी बदल चुके हैं।
प्राप्‍त जानकारी के अनुसार मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में एक बाबू की नियुक्ति के एक साल बाद पिछले दरवाजे से शासन के दिशा-निर्देशों की अनदेखी कर प्रतीक्षा सूची से CHC डौंडी में नियुक्ति की गई। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में वार्ड ब्वाय एवं भृत्य पद पर भी नियुक्ति के दो माह बाद प्रतीक्षा सूची से शासन के दिशा-निर्देशों के विपरीत नियम विरूद्ध एक-एक पद पर नियुक्ति की गई। एक रेडियोग्राफर बालोद में भर्ती लिपिक, खरीदी, नियुक्ति जैसे महत्वपूर्ण कार्य देख रहा है। वह मूल रूप से रेडियोग्राफर है और उसकी वर्तमान पद स्थापना CHC डौंडी लोहारा है। शासन के दिशा-निर्देशों के विपरीत मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला बालोद कार्यालय में उससे कार्य लिया जाना एक बडे षड्यंत्र का हिस्सा है। इस रेडियोग्राफर का अटेंडेंस, ना CHC डौंडी लोहारा में है और ना बालोद में, फिर भी बाकायदा हर माह उसको वेतन का भुगतान किया गया है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में नर्सिंग और महत्वपूर्ण कार्य मात्र एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता देख रहा है और CHC में लेखापाल की जिम्मेदारी भी इसी स्वास्थ्य कार्यकर्ता के कंधों पर है। इसे तगड़ा जुगाड़  ही कहा जा सकता है कि अनटाईटिल होते हुए भी उसको सरकारी क्वार्टर एलाट किया गया है और सबसे प्रमुख बात ये है कि इस मामूली से स्वास्थ्य कार्यकर्ता के सरकारी क्वार्टर में एयर कंडिशनर भी लगा हुआ है जोकि वाकई किसी आश्चर्य से कम नहीं है।

योग्यता विहीन  चला रहे हैं अस्‍पताल 
सब-स्टेशनों में जिसकी ड्यूटी होनी चाहिए थी वो मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में नर्सिंग एक्ट खाद्य एवं औषधी जैसे महत्वपूर्ण काम देख रहा और संभाल भी रहा है। ऐसे ही कई योग्यता विहीन व्यक्तियों से बगैर किसी लिखित आदेश के शासकीय कार्य लिया जा रहा है। विचारणीय है कि कल को कोई दुर्घटना या कोई हादसा घट गया तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? जो बिना लिखित आदेश के स्वास्थ्य विभाग को संभाल रहे हैं, क्या उन्हें दोषी करार दिया जा सकता है? भारतीय संविधान के अनुसार जब उसको कोई लिखित आदेश पत्र नहीं दिया गया है तो वह सरकारी अस्पताल में कैसे नौकरी कर सकता है इसलिए उस व्यक्ति को कैसे दोषी माना जा सकता है जिसकी उपस्थित का कोई प्रमाण ही नहीं है। एैसा चमत्कार करने वाले भ्रष्ट स्वास्थ्य अधिकारी ही बताए कि दुर्घटना का जिम्मेदार कौन होगा? बालोद स्वास्थ्य विभाग योग्यता विहीन कर्मचारी संभाल रहे हैं तो सोचिए स्वास्थ्य विभाग में अंखफोड़वा कांड और नसबंदी ऑपरेशन कांड जैसी गंभीर दुर्घटनाएं होना एकदम निश्चित और तय है। स्वास्थ्य विभाग ने वार्ड ब्वाय पद हेतु विज्ञापित कुल संख्या 16 निकाली गई थी और नियुक्ति पश्चात 17 उम्मीदवारों ने कार्यभार ग्रहण किया है। यह भी किसी चमत्कार से कम नहीं माना जा सकता है। दूसरा चमत्कार भी हुआ था क्योंकि भृत्य पद हेतु विज्ञापित कुल संख्या 09 थी और नियुक्ति पश्चात 10 उम्मीदवारों ने कार्यभार ग्रहण किया है। क्यों और कैसे ऐसे ऐसे चमत्कार स्वास्थ्य विभाग में ही होते हैं। यह भी एक शोध का विषय माना जाना चाहिए और शासन प्रशासन को भी इस चमत्कार की जांच करानी चाहिए ताकि स्पष्ट हो सके कि बालोद स्वास्थ्य विभाग में ऐसे और कितने चमत्कार (भ्रष्टाचार) हो चुके हैं। मतलब यह हुआ कि बालोद स्वास्थ्य विभाग भ्रष्टाचार की सारी सीमाएं पार कर चुका है और भ्रष्टाचार को चमत्कार बना दिया गया है।