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मानसून सत्र का आगाज़ - रमन को राहत, शिवराज और वसुंधरा के लिए मुसीबत ?

छत्तीसगढ़ 19 जुलाई 2015 (जावेद अख्तर). 21 जुलाई से संसद का मानसून सत्र शुरू हो रहा है ऐसे में सरकार खुद को तीनों बड़े घोटालों पर पहले से ही जवाब के लिए तैयार कर रही है। क्योंकि पूरी अाशंका है कि संसद में व्यापम घोटाला, नान घोटाला और ललित मोदी कांड गूंजेगा, इसी को लेकर पहले से ही तैयारियां की जा रही है ताकि संसद में विरोधियों और विपक्षों के प्रश्नों का उत्तर संतुष्टिप्रद दिया जा सके इसी कडी में सूत्रों से खबर मिली है कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली तलब किया है।
इस मीटिंग में शिवराज और वसुंधरा के अलावा अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, निर्मला सीतारमण, मुख्तार अब्बास नकवी जैसे बड़े नेता मौजूद रहे। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, बीजेपी अध्‍यक्ष अमित शाह व्यापम घोटाले को लेकर शिवराज से बेहद नाराज है, ऊपर से शिवराज सरकार के राज्य मंत्रियों ने जिस प्रकार की बेतुकी बयानबाजी की है इससे भी आलाकमान के कई वरिष्ठ नेताओं ने नाराजगी जाहिर कर दी है। मुख्तार अब्बास नकवी और अरूण जेटली ने कहा है कि मध्यप्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री शिवराज अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में उस स्तर तक सफल नहीं हुए जितनी आशाएं की गई थी। वहीं मौतों के बढ़ते आंकड़ों और फिर पत्रकार अक्षय सिंह की संदिग्ध हालात में मौत होने से व्यापम फर्जीवाड़े को विश्व स्तर पर पहुंचा दिया जिससे विरोधियों और विपक्ष को केन्द्रीय भाजपा सरकार पर उंगली उठाने और कीचड़ उछालने का भरपूर मौका मिल गया। इससे भाजपा व प्रधानमंत्री पर लगातार कार्यवाई का दबाव बढ़ता ही जा रहा है। सूत्रों की मानें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह भी पत्रकार अक्षय की संदिग्ध अवस्था में मौत हो जाने के बाद से ही मध्यप्रदेश सरकार व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से खासे नाराज हो गए हैं। पीएमओ दिल्ली से मिली गुप्त सूचना के आधार पर जानकारी प्राप्त हुई है कि शिवराज सिंह व वसुंधरा राजे की वजह से पार्टी, प्रधानमंत्री व कार्यप्रणाली पर आम जनता ने नाराजगी जताना शुरू कर दिया है, नाराजगी जाहिर करने वालों में से अस्सी फीसदी आम जनता है जो कि किसी न किसी तरीके से दिल्ली कार्यालय में संदेश पहुंचा रहें हैं इससे भी केन्द्रीय सरकार चिंतित हो गई है क्योंकि उपाय नहीं निकाला गया तो आने वाले दिनों में केन्द्र सरकार की राजगद्दी को खतरे में में भी पड़ सकती है या फिर इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है जाएगा। दूसरी बड़ी चिंता यह है कि अगर कहीं सीबीआई ने व्यापम से जुड़े हुए लोगों की मौत के तार मध्यप्रदेश सरकार और शिवराज सिंह से जोड़ने का कोई खुलासा कर दिया या कोई सबूत पेश कर दिया तो केन्द्रीय भाजपा सरकार के लिए बहुत बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाएगी। हालांकि अंदरूनी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अगर सीबीआई ने ऐसा कर दिखाया तो केन्द्रीय सरकार शिवराज सिंह व उनके कुछ मंत्रियों को भाजपा से बाहर कर देगी और सीबीआई को अपना सहयोग प्रदान करेगी। इन सभी मुद्दों के बीच अगर किसी को लाभ मिला है तो वह हैं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह। मध्यप्रदेश का व्यापम घोटाला इतना अधिक व्यापक रूप ले चुका है और विदेशों में भी भाजपा की किरकिरी करा चुका है और दूसरे मामले वसुंधरा राजे ललित मोदी केस ने भी भाजपा की विदेशों में जमकर भद्द करवाई और पार्टी की कार्यप्रणाली को सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया। इन दोनों बड़े मामलों के अधिक गरमाने से रमन सिंह का नान घोटाला कुछ हल्का पड़ गया और दब सा गया है। केन्द्रीय भाजपा सरकार ने इसका लाभ छत्तीसगढ़ राज्य सरकार और मुख्यमंत्री रमन सिंह को दिया है और उनके घोटाले प्रकरण को अभी किनारे करते हुए पूरा ध्यान व्यापम व ललित मोदी विवाद पर केन्द्रित किया है। मतलब साफ है कि वर्तमान परिस्थितियों में एक बार फिर से किस्मत ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह का साथ दिया है। फिलहाल तो केन्द्र की लटकती तलवार अभी रमन सिंह के ऊपर से हट गई है। अब मुख्यमंत्री रमन सिंह के सामने चुनौती होगी राज्य स्तर पर विपक्ष पार्टी को संभालना ताकि विपक्ष नान घोटाले को लेकर केन्द्रीय भाजपा सरकार के सामने जाकर न खड़ी होने जाए और पेपरबाजी से हवा न देने पाए यानि कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह की कुर्सी वर्तमान स्थिति में विपक्ष के हाथों में है अगर विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर फिर से कोई बड़ा आंदोलन या व्यापक स्तर पर पेपरबाजी कर दी तो फिर से रमन सिंह के लिए खतरा पैदा हो जाएगा। बहरहाल दो दिनों के बाद संसद में सबसे अधिक जोर-शोर से व्यापम घोटाले पर माहौल गरम होगा और संभवतः माहौल तनावपूर्ण बनेगा, उसके बाद वसुंधरा ललित मोदी केस पर भी संसद में जमकर हो हंगामा होने की संभावना रहेगी। केंद्रीय भाजपा सरकार जहाँ एक ओर डिजिटल इंडिया, स्वच्छता अभियान, जनधन जैसी योजनाओं को लागू करके अपनी धाक जमाने में लगी है तो वहीं दूसरी ओर इन तीन मुख्यमंत्रियों ने तीनों योजनाओं पर पानी फेर दिया और केन्द्रीय सरकार की जमकर किरकिरी भी कराई। अब आलाकमान किसी भी समझौते के मूड में नहीं है, इसलिए दो मुख्यमंत्रियों की कुर्सी पूरी तरह डोल रही है और किसी भी समय दोनों ही कुर्सियों पर नया चेहरा बैठाया जा सकता है। व्यापम घोटाले और वसुंधरा राजे विवाद को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने अपने मामलों को लेकर अमित शाह को सफाई दी और प्रधानमंत्री मोदी को वर्तमान परिस्थितियों की पूरी जानकारी भी दी व इन दोनों मामलों पर आगे की क्या योजना है इसकी भी पूरी जानकारी दे दिए हैं। चर्चा के बाद पार्टी के नेताओं का तर्क है कि सत्र के दौरान ललित मोदी विवाद में घिरीं केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज संसद में खुद अपना बचाव करेंगी, तो वहीं मुख्यमंत्रियों का बचाव पार्टी करेगी। दो दिन के बाद संसद के सत्र के दौरान होने वाली बहस व वाद विवाद पर ही इन दोनों मुख्यमंत्रियों के भाग्य का फैसला टिका हुआ है। वैसे स्थिति काफी दिलचस्प बनती जान पड़ रही है। तो देखते हैं दो दिनों के पश्चात शुरू होने वाला मानसून सत्र कितनों के अरमानों व योजनाओं पर पानी फेरता है और कितनों के लिए मंथन पश्चात अमृत निकलता है।