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बुद्ध डिप्लोमेसी से एशिया में पावरफुल बनेगा भारत

नई दिल्ली 05 मई 2015. बौद्ध गतिविधियों पर मोदी सरकार का बढ़ता फोकस उसकी फॉरन पॉलिसी का हिस्सा है। बौद्ध धर्म के डोज के जरिये सरकार अपनी 'लुक ईस्ट, ऐक्ट ईस्ट' पॉलिसी को सहारा देकर इसे दक्षिण पूर्व एशिया के लिए सांस्कृतिक पुल की तरह पेश करना चाहती है। मोदी ने खुद सोमवार को अपने भाषण में इसके पर्याप्त संकेत दिए। उन्होंने कहा कि यह कहा जा रहा है कि 21वीं सदी एशिया की सदी होगी। इसमें कोई दो राय नहीं है।'
इसके बाद उन्होंने कहा कि बुद्ध के बिना यह सदी एशिया की सदी नहीं हो सकती। भारत सरकार बौद्ध धर्म को भारत की कूटनीति के केंद्र में रखकर इस रीजन में काम करना चाहती है। सरकार के टॉप सूत्रों ने बताया कि मोदी राजनीतिक और आर्थिक कूटनीति में 'बुद्ध पुल' का इस्तेमाल करते हुए भारत को 'सॉफ्ट पावर' की तरह पेश करना चाहते हैं। इससे चीन से भी मुकाबला करने में मदद मिलेगी, जो म्यांमार, थाईलैंड, कंबोडिया और श्रीलंका जैसे देशों में मठों के निर्माण और संरक्षण के जरिये बौद्ध धर्म को बढ़ावा दे रहा है। बुद्ध पूर्णिमा दिवस के मुख्य आयोजकों में से एक और बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य शेषाद्रि चारी ने बताया, 'भारत बौद्ध धर्म का स्वाभाविक ठिकाना है। हमें बुद्ध के इस कनेक्शन का इस्तेमाल कर फायदा उठाना चाहिए।' उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि बौद्ध डिप्लोमेसी को लेकर मोदी सरकार की बड़ी योजनाएं हैं। चारी ने बताया, 'इससे भारत को दोहरा फायदा होगा। इस रीजन में कूटनीतिक फायदे अलावा इससे पर्यटकों को भी आकर्षित करने में मदद मिलेगी। यहां तक दुनिया के बड़े नेताओं को बोध गया और सारनाथ जैसे बौद्ध धर्म के केंद्रों पर लाया जा सकता है।' इस मौके पर मोदी ने भी कहा, 'मेरे सभी विदेशी दौरों में एक दिन हमेशा बौद्ध मंदिर के दर्शन के लिए तय रहता है।' पिछले साल सितंबर में जापान यात्रा के दौरान उन्होंने बौद्ध धर्म से जुड़े मशहूर तोजी और किनुकाकुजी मंदिरों में प्रार्थना की थी। पिछले साल मार्च में श्रीलंका यात्रा के दौरान मोदी ने कोलंबो के महाबोधि मंदिर में बौद्ध संन्यासियों को संबोधित किया था और अनुराधापुरा में महाबोधि वृक्ष के नीचे प्रार्थना की थी। प्रधानमंत्री के 14 मई से शुरू हो रहे मंगोलिया, चीन और साउथ कोरिया दौरे में भी बौद्ध डिप्लोमेसी नजर आएगी। चीन में वह राष्ट्रपति शी जिनपिंग के होम टाउन शियान का दौरा करेंगे, जहां दोनों नेता ग्रेट वाइल्ड गूज पगौड़ा जा सकते हैं, जो मशहूर बौद्ध तीर्थयात्री ह्वेनसांग को समर्पित है। शियान में वह मठ मौजूद है, जहां ह्वेनसांग ने 1,400 साल पहले अपनी भारत यात्रा के बारे में लिखा था। इसी तरह, दक्षिण कोरिया में प्रधानमंत्री बौद्ध वृक्ष लगाएंगे। भारत ने पिछले साल मार्च में इस पौधे को सोल भेजा था, जो अब बढ़कर 160 सेंटीमीटर का हो गया है। 

(IMNB)