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कानपुर - मरीजों की आफत बनी अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही

कानपुर। नियमों का मखौल उडाते हुये कानपुर जिला अस्पताल उर्सला में रोजाना मरीजों को एक वार्ड से दूसरे वार्ड में ले जाने के लिए पुल का उपयोग नहीं करके कर्मचारी भीड़-भाड़ वाले रास्ते के बीचों बीच से मरीज को स्ट्रेचर पर ले जाते हैं। ऐसा पहली बार नहीं कई सालों से चला आ रहा है।
कई बार तो स्टेचर में मरीजों को ले जाते समय वह वाहनों की टक्कर से चोटिल भी हो जाते हैं। ऐसे में तीमारदारों से मिलने वाली शिकायतों के बाद भी अस्पताल प्रबंधन के कान में जू तक नहीं रेंग रही है। दरअसल अस्पताल दो भागों में बंटा होने के चलते सड़क के इस पार इमरजेंसी वार्ड है और सड़क के उस पार नई मल्टीस्टोरी के साथ मरीज भर्ती होते हैं। बड़ा चौराहे को देखते हुए अस्पताल के बाहर वाहनों की अक्सर लम्बी लाइन लग जाती थी। जिसके चलते प्रदेश सरकार द्वारा मरीजाें को इस पार से उस पार ले जाने के लिए ओवर ब्रिज भी बनाया गया था। ताकि इमरजेंसी में भर्ती मरीजों को इलाज होने के बाद वार्ड में आसानी से शिफ्ट किया जा सके। पुल बनने के बाद कई सालों तक अस्पताल कर्मचारियों द्वारा इसका उपयोग किया गया। लेकिन बाद में पुल चढ़ने उतरने की जहमत से बचने के लिए कर्मचारी मरीजों को सड़क के रास्ते ही ले जाने लगे। एक महीने पहले एक कर्मचारी इमरजेंसी वार्ड से मरीज को स्ट्रेचर में बैठाकर पुराने भवन में बने वार्ड में शिफ्ट करने ले जा रहा था। सड़क का रास्ता पार करते समय सामने से आई तेज रफ्तार कार ने स्टेचर में टक्कर मार दी। जिससे मरीज के साथ कर्मचारी भी घायल हो गया था। कर्मचारियों द्वारा की जा रही इस लापरवाही के चलते मरीज के साथ आए तीमारदारों ने अस्पताल प्रबंधन से शिकायत भी की थी। लेकिन अस्पताल के डाक्टरों ने इन बातों को नजरअदांज कर दिया। वहीं आज भी कर्मचारी वार्ड में भर्ती मरीजों को सड़क के रास्ते से ही ले जा रहे है। ऐसी हरकतों कों देखकर लगता है कि अस्पताल प्रबधंन मरीजों से ज्यादा कर्मचारीयों को आराम देने के लिए प्रयासरत रहता है। हालांकि इससे मरीजों के साथ कर्मचारियों की जान भी हमेशा जोखिम में बनी रहती है।