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मोदी सरकार की सूझबूझ से पूरा हुआ फिस्कल डेफिसिट का टारगेट

नई दिल्ली। पिछले महीने खर्च और आमदनी को सूझबूझ से मैनेज करके सरकार ने 2014-15 के फिस्कल डेफिसिट टारगेट को हासिल कर लिया। यह लक्ष्य ग्रॉस डोमेस्टिक प्रॉडक्ट (जीडीपी) का 4.1 पर्सेंट था। फाइनल डेटा आने पर फिस्कल डेफिसिट इससे कुछ कम भी रह सकता है। सरकार के डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में कमी आई थी जिसकी भरपाई अधिक इनडायरेक्ट टैक्स से हो गई।
वहीं, टेलीकॉम कंपनियों ने हाल में हुए ऑक्शन में हासिल स्पेक्ट्रम के लिए कुछ भुगतान इस फाइनैंशल ईयर के खत्म होने से पहले कर दिया। इससे भी फिस्कल डेफिसिट को मैनेज करने में मदद मिली। हालांकि, असल कमाल सरकारी खर्च और आमदनी पर नजर रखने से हुआ। फाइनैंस मिनिस्ट्री के सीनियर ऑफिशल ने बताया, 'फिस्कल डेफिसिट 4.1 पर्सेंट के नीचे रहेगा।' एक अन्य सरकारी सूत्र ने बताया कि रूरल एंप्लॉयमेंट स्कीम मनरेगा और कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च कम किए बगैर फिस्कल डेफिसिट लक्ष्य हासिल किया गया है। केंद्र ने अपना खर्च सूझबूझ से मैनेज किया। इससे आमदनी में कमी की भरपाई करने में मदद मिली। डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन संशोधित अनुमान से 10,000 करोड़ रुपये कम रह सकता है। हालांकि, अभी इसके फाइनल डेटा पर काम चल रहा है। स्पेक्ट्रम ऑक्शन भी मार्च महीने के अंत तक चला और अपफ्रंट पेमेंट (पेशगी) के तौर पर सरकार को सिर्फ 10,700 करोड़ रुपये ही फाइनैंशल ईयर खत्म होने से पहले मिले। सरकार का खर्च कुछ मदों में बढ़ा था। केंद्र ने सेल्स टैक्स मुआवजे के तौर पर राज्यों को 11,000 करोड़ रुपये दिए हैं। सरकार ने गुड्स एंड सर्विसेज (जीएसटी) टैक्स पर राज्यों के साथ सहमति के लिए यह पैसा दिया है। उसने राज्य बंटवारा समझौता के तहत आंध्र प्रदेश और तेलंगाना को भी भुगतान किया है। इनका ख्याल रखते हुए सरकार ने आमदनी बढ़ाने और खर्च में कमी के कुछ कदम उठाए थे। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि आईटी सेक्टर से संबंधित कुछ खर्च घटाया गया। डिफेंस खर्च में भी मामूली कमी की गई। हालांकि डिफेंस प्रोक्योरमेंट प्रोग्राम से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई।

(IMNB)