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चीफ जस्टिस ने एनजेएसी के चयन पैनल का हिस्सा बनने से किया इनकार

नई दिल्ली 27 अप्रैल 2015. हाई कोर्टों और सुप्रीम कोर्ट में जजों को अपॉइंट करने के लिए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) प्रकरण में एक नया मोड़ आ गया है। भारत के चीफ जस्टिस एच एल दत्तू ने छह सदस्यीय आयोग में दो प्रमुख व्यक्तियों के चयन के लिए तीन सदस्यीय पैनल का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति जे एस खेहर की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ को अटर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने बताया कि न्यायमूर्ति दत्तू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है कि जब तक शीर्ष अदालत इस मामले में कोई निर्णय नहीं सुनाती तब तक वह पैनल की बैठक में शामिल नहीं होंगे।
संविधान पीठ उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति से जुड़े इस नए कानून की संवैधानिक वैधता के मुद्दे पर सुनवाई कर रही है। तीन सदस्यीय पैनल में चीफ जस्टिस, प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता हैं, जो उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति से संबंधित छह सदस्यीय एनजेएसी में दो मशहूर व्यक्तियों को चुनने और उनकी नियुक्ति के लिए अधिकृत हैं। जब एनजेएसी का मामला न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की संविधान पीठ के संज्ञान में लाया गया तो पीठ ने सीनियर वकीलों की राय सुनी कि इस बात को ध्यान में रखते हुए कैसे मामले पर आगे बढ़ा जाए कि निकट भविष्य में उच्च न्यायालय में उन वर्तमान अतिरिक्त न्यायाधीशों के स्थान पर नियुक्ति की संभावना होगी, जिनका कार्यकाल समाप्त होने जा रहा है। वरिष्ठ वकीलों की राय सुनने के बाद जज अपने चैंबर से चले गए और 15 मिनट बाद फिर एकत्र हुए। न्यायमूर्ति खेहर ने कहा कि पीठ ने मामले में गुण-दोष के आधार पर सुनवाई जारी रखने का निर्णय लिया है और यदि जरूरत महसूस हुई तो वह अंतरिम आदेश जारी करेगी। अटर्नी जनरल ने कहा कि छह सदस्यीय आयोग में मशहूर व्यक्तियों चुनने और उनकी नियुक्ति में पैनल का हिस्सा बनना चीफ जस्टिस के लिए अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि इस बैठक में चीफ जस्टिस के हिस्सा लेने के लिए निर्देश जारी किया जाए। हालांकि उनकी राय से वरिष्ठ वकील फली एस नरीमन ने अलग राय प्रकट की। सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकार्ड एसोसिएशन की ओर से पेश हो रहे नरीमन ने कहा कि यदि चीफ जस्टिस हिस्सा नहीं ले रहे है तो पीठ अन्य को उसमें हिस्सा लेने के लिए निर्देश दे सकती है। शीर्ष अदालत ने वरिष्ठ वकील रामजेठमलानी की राय भी जाननी चाही, जिन्होंने कहा कि पीठ को यह देखना होगा कि क्या प्रथम दृष्टया एनजेएसी कानून के कार्यान्वयन पर स्थगन लगाने का मामला बनता है या नहीं। हालांकि वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि पीठ सुनवाई जारी रख सकती हैं क्योंकि हाई कोर्टों में अतिरिक्त जजों का सवाल 20 मई के बाद उठेगा और इस बीच यदि सुनवाई चलती है तो जज इस बात को जान लेंगे कि प्रथम दृष्टया दृष्टिकोण क्या बनने जा रहा है। उन्होंने कहा कि पीठ को एक तरफ न्यायिक परिवार के मुखिया यानी चीफ जस्टिस की संवेदनशीलता पर विचार करना होगा, वहीं संसद की इच्छा पर भी गौर करना होगा, जिसने एनजेएसी के गठन का कानून बनाया है। उन्होंने कहा कि मामले पर 7-8 दिन सुनवाई होने दें फिर पूरे मामले पर राय ली जा सकती है। साल्वे हरियाणा सरकार की ओर से पेश हो रहे हैं और वह नए कानून के पक्ष में हैं।

(IMNB)