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कराची - पाक सेना एक नए 'तख्तापलट' की ओर बढ़ी

इस्लामाबाद 27 अप्रैल 2015. पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के प्रमुख एक नए अभियान की अगुआई कर रहे हैं। यह अभियान देश के तटीय शहर कराची को एक मजबूत राजनीतिक दल के प्रभाव से हटाने पर केंद्रित है। देश की मिलिटरी की हाल के सालों में की गई यह सबसे बड़ी कार्रवाई हो सकती है। ISI प्रमुख अख्तर के करीबी गवर्नमेंट ऑफिशल ने बताया कि धीरे-धीरे कराची को मिलिटरी टेकओवर करने जा रही है, जो परंपरागत रूप से आर्मी पावर का विस्तार होगा।
नाम न बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि कराची बहुत बड़ा शहर है जहां ज्यादा जमीन, ज्यादा बिजनेस और संसाधन हैं। किसी भी दल को शहर का शासन चलाने की इजाजत नहीं दी जाएगी। हिंसाग्रस्त कराची पाकिस्तान का सबसे समृद्ध शहर है। यहां देश का आधा राजस्व ही नहीं बल्कि स्टॉक एक्सचेंज, सेंट्रल बैंक और बड़ा एअर पोर्ट भी है। कराची में, मिलिटरी की कड़ी कार्रवाई 2013 में शुरू हुई थी, जब मर्डर रेट बहुत ऊंचे हो गए थे और लाशों का गिरना आम सा हो गया था। बताया जा रहा है कि बीते महीने शुरू हुए इस ऑपरेशन का मुख्य टारगेट क्रिमिनल्स और आतंकी हैं लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि निशाने पर एमक्यूएम ही रहने वाली है। सेना प्रवक्ता से जब इस मारे में राय पूछी गई तो किसी तरह का जवाब नहीं मिला। एमक्यूएम की पकड़ को कमजोर कर देने और नेता अल्ताफ हुसैन का निर्वासन, शहर में अन्य पार्टियों के लिए भी अवसर लेकर आएगा। सेना के लिए यह सहानुभूति भी पैदा कर सकता है, जैसा कि इमरान खान के नेतृत्व में बनी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी से हुआ। यह कदम सेना के लिए इकनॉमिक हब में फायदा भी लेकर आएगा। मिलिटरी कोर्ट के जरिए राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति और जुडीशरी पर पकड़ मजबूत करने में भी सेना को आसानी होगी। सेना के बढ़ते प्रभाव के बीच निश्चित ही मुसीबत नवाज शरीफ के लिए खड़ी होगी जिन्होंने 2013 के चुनावों में भारत के साथ घनिष्टता का वादा किया था।

(IMNB)