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कोयला घोटाला - 2018 से पहले नहीं हो पाएगी मनमोहन सिंह की याचिका पर सुनवाई

नई दिल्ली। जो लोग पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कोयला घोटाला केस में कोर्ट द्वारा समन किए जाने से चिंतित हैं, वे राहत की सांस ले सकते हैं। समन को चुनौती देने वाली मनमोहन सिंह की याचिका ठंडे बस्ते में चली गई है और सुप्रीम कोर्ट में कम से कम 3 साल तक इसके ऊपर सुनवाई नहीं होगी।
जस्टिस वी. गोपाला गौड़ा और सी. नागप्पन ने 1 अप्रैल को मनमोहन सिंह की याचिका 'ऐडमिट' कर ली थी और ट्रायल कोर्ट द्वारा मनमोहन सिंह समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ समन और सुनवाई पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट जब किसी मामले की सुनवाई करता है, स्पेशल लीव पिटिशंस में 'ऐडमिट' और 'ग्रांट ऑफ लीव' का बड़ा महत्व होता है। कई बार कोर्ट को लगता है कि याचिकाकर्ता ने दमदार कानूनी सवाल खड़ा किए हैं और इस पर विस्तृत सुनवाई की जरूरत है। ऐसी सुनवाई में ज्यादा दिन लग सकते हैं, ऐसे में कोर्ट बिना कोई डेट तय किए याचिका को 'लीव ग्रांट' करता है या फिर उसे 'ऐडमिट' कर लेता है। मनमोहन सिंह और अन्य की स्पेशल लीव पिटिशंस को 'ऐडमिट' करते वक्त बेंच ने कहा था, 'इन याचिकाओं में महत्वपूर्ण कानूनी सवाल और प्रिवेंशन ऑफ करप्शन ऐक्ट 1988 के सेक्शन 13(1)(d)(iii) की संवैधानिक वैधता का मामला उठाया गया है। इसलिए इस मामले में पड़ताल की जरूरत है।' इस तरह के तमाम मामलों की तरह कोर्ट ने इस केस में भी इन पिटिशंस की सुनवाई के लिए कोई डेट नहीं दी। रजिस्ट्री में भी कोई डेट नहीं है। ऐडमिट की जा चुकी अपीलों की कतार को देखते हुए लगता है कि मनमोहन सिंह द्वारा फाइल की गई याचिका की सुनवाई में 5 साल तक का समय लग सकता है। अभी सुप्रीम कोर्ट साल 2009-10 में ऐडमिट की गईं क्रिमिनल पिटिशंस की सुनवाई कर रहा है और कभी-कभार इसके बाद डाली गई याचिकाओं की भी सुनवाई करता है। यहां तक कि निर्भया जैसे हाई प्रोफाइल केस में भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह मौत की सजा पाए दोषियों की अपील पर सुनवाई नहीं करेगी। निर्भया केस में दोषियों की याचिका की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस दत्तू ने कहा था, 'पहले से ही 23 मौत की सजा पाने वालों की याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग हैं और वे निर्भया केस पुरानी है। हम डेट के हिसाब से ही आगे बढ़ते हैं। अभी हम 2012 और 2013 में फाइल किए गए केसों पर सुनवाई कर रहे हैं। निर्भया केस में 2014 में अपील डाली गई है, ऐसे में बारी का इंतजार करना होगा।' चीफ जस्टिस पेंडिंग मामलों की सुनवाई में तेजी लाने की कोशिश कर रहे हैं, ऐसे में पेंडिंग केस 3 से 4 साल में निपट सकते हैं। इसका मतलब है कि मनमोहन की याचिका पर सुनवाई 2018 में होगी। तब तक सुप्रीम कोर्ट का 1 अप्रैल का ऑर्डर बरकरार रहेगा यानी मनमोहन और अन्य आरोपियों के खिलाफ ट्रायल कोर्ट मे मुकदमा नहीं चलाया जा सकेगा। इस प्रक्रिया से मनमोहन के खिलाफ केस खत्म तो नहीं होगा, मगर उन्हें आरोपी के तौर पर कोर्ट में पेश होने वाले समन पर रोक लगी रहेगी। इस तरह से वह कानूनी दिक्कत से बचे रहेंगे।

(IMNB)