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पाक ने भेजा 'बीफ मसाला', नेपाल में मचा बवाल

काठमांडू 30 अप्रैल 2015. नेपाल में आए भूकंप से पूरी दुनिया आहत है। इस भूकंप में अभी तक 5 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। दुनिया भर से नेपाल में राहत सामग्री पहुंच रही है। लेकिन, पाकिस्तान की ओर से आई राहत सामग्री को लेकर विवाद शुरू हो गया है। पाकिस्तान से आए इन हरे पैकेट्स को कोई हाथ भी लगाने से बच रहा है। इन पैकेटों में 'बीफ मसाला' है ।
नेपाल कुछ वर्षों पहले तक एक हिंदू राष्ट्र था। यहां कि बहुसंख्यक आबादी अब भी हिंदू है और वे गाय को बेहद पवित्र मानते हैं। ऐसे में पाकिस्तान की इस हरकत से एशियाई संगठन (सार्क) के सदस्य देशों के बीच राजनयिक कटुता भी बढ़ सकती है। काठमांडू के बीर अस्पताल में भारतीय डॉक्टरों के समूह ने बताया कि मंगलवार को पाकिस्तान की ओर भेजी गई राहत सामग्री में 'बीफ मसाला' के पैकेट थे। 34 सदस्यीय डॉक्टरों के दल में शामिल डॉक्टर ब‍लविंदर सिंह ने कहा, 'जब हम खाद्य सामग्री लेने एयरपोर्ट पहुंचे तो हमने पाया कि इनमें बीफ मसाले के पैकेट भी हैं।' ये डॉक्टर दिल्ली के राम मनोहर लोहिया, एम्स से गए हैं। डॉक्टरों ने वे पैकेट लेने के स्थान पर होटेल से खाना लेना बेहतर समझा। टीम में शामिल एक अन्य डॉक्टर ने कहा कि ज्यादातर स्थानीय लोगों को इस बारे में जानकारी नहीं है, लेकिन जब उन्हें यह बात समझ आई तो सभी ने इन पैकेट्स को हाथ लगाने से भी मना कर दिया। डॉ. सिंह कहते हैं कि बीफ मसाला भेजकर पाकिस्तान ने नेपाल की धार्मिक भावनाओं का मजाक उड़ाया है। यह बेहद शर्मनाक है कि पाकिस्तान मामले की गंभीरता को नहीं समझ रहा है।' नेपाल सरकार के एक आला अधिकारी का कहना है कि इन पैकेट्स के बारे में प्रधानमंत्री सुशील कोइराला और खुफिया प्रमुख को जानकारी दे दी गई है। इसके साथ ही हम तथ्यों की पुष्टि के लिए जांच भी करवाने वाले हैं। रिपोर्ट में अगर यह बात साफ हो जाती है कि इन पैकेट्स में वाकई बीफ मसाला था, तो कूटनीतिक स्तर पर पाकिस्तान के सामने इस मुद्दे को उठाया जाएगा। चूंकि भारत हमारा प्रमुख सहयोगी है इसलिए मामले की प्रगति के बारे में भारत को भी अवगत कराया जाएगा। दूसरी ओर, पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता तसनीम असलम इस तरह की किसी भी घटना की जानकारी होने से इनकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि वह इन पैकेट्स को भेजने के लिए जिम्मेदार नहीं हैं। राहत सामग्री राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधि‍करण भेजता है। नेपाल के पहले सिविल कोड जो 1854 में बनाया गया था में कहा गया था कि यह एकमात्र राज्य है जहां गाय, महिला और ब्राह्मणों को मारा नहीं जा सकता। 1990 में सिविल कोड में संशोधन कर गोहत्या पर 12 वर्ष की कैद का प्रावधान जोड़ा गया था।


(IMNB)