Breaking News

सरकार का दावा गलत, महंगी होगी मोबाइल से कॉल

नई दिल्ली। टेलिकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) का मानना है कि टेलिकॉम कंपनियों की स्पेक्ट्रम कॉस्ट 12-15 पर्सेंट बढ़ सकती है, जिसका बोझ वे समय के साथ यूजर्स पर डालेंगी। सरकार ने अनुमान लगाया था कि स्पेक्ट्रम ऑक्शन के चलते कॉल रेट्स में 1.3 पैसे प्रति मिनट की बढ़ोतरी हो सकती है। ट्राई की राय उससे अलग है।
संस्था के चेयरमैन राहुल खुल्लर ने कहा कि 'टेलिकॉम कंपनियां बढ़ी हुई कॉस्ट का बोझ कन्जयूमर्स पर किसी तरह से डालेंगी। यह 6 से 7 पैसे प्रति मिनट तक हो सकता है।' स्पेक्ट्रम ऑक्शन 25 मार्च को खत्म हुआ था और उसके बाद खुल्लर ने पहली बार मीडिया से बातचीत की है। उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि कॉल रेट्स बढ़ सकते हैं।' उनका बयान सरकार के दावे से उलट है। सरकार ने कहा था कि स्पेक्ट्रम ऑक्शन से कॉल रेट्स में अधिकतम 1.3 पैसे प्रति मिनट की बढ़ोतरी हो सकती है। रेग्युलेटर ने भी माना कि टैरिफ बढ़ने से कस्टमर्स पर बड़ा असर नहीं होगा क्योंकि यह बढ़ोतरी धीरे-धीरे और लंबी अवधि में होगी। खुल्लर ने ऐसे हालात पैदा करने के लिए सरकार की आलोचना की, जिसके चलते कंपनियों को स्पेक्ट्रम के लिए अग्रेसिव बिडिंग करनी पड़ी। कंपनियां अपना वजूद बचाने के लिए अधिक बोली लगाने के लिए मजबूर हुईं। सरकार ने ऑक्शन में अधिक स्पेक्ट्रम भी ऑफर नहीं किए। अभी की खराब वॉयस और डेटा सर्विस क्वॉलिटी की वजह स्पेक्ट्रम की कमी है। खुल्लर ने कहा, 'हमने इसकी भविष्यवाणी पहले ही कर दी थी। हमने कहा था कि 900 मेगाहर्ट्ज बैंड में स्पेक्ट्रम के लिए कंपनियों के बीच मारामारी होगी।' हालिया ऑक्शन में भारती एयरटेल, आइडिया सेल्युलर, वोडाफोन इंडिया और रिलायंस कम्यूनिकेशंस को कुछ सर्किल में 900 मेगाहर्ट्ज बैंड में अपने एयरवेव्स बायबैक करने के लिए मजबूर होना पड़ा। अगर वे ऐसा नहीं करतीं तो उनके लिए इन सर्किल्स में सर्विस जारी रखना मुमकिन नहीं होता। इन सर्किल्स में टेलिकॉम कंपनियों के लाइसेंस 2015 और 2016 में एक्सपायर होने थे। ट्राई को इंडस्ट्री के भविष्य की कहीं अधिक चिंता है। खुल्लर का कहना है कि कंपनियां नए नेटवर्क में निवेश और मौजूदा नेटवर्क बढ़ाने पर खर्च में कटौती कर सकती हैं। जीएसएम की इंडस्ट्री लॉबी ने भी कहा था कि ऑक्शन के बाद इंडस्ट्री पर कर्ज बढ़कर 3,50,000 करोड़ रुपये से अधिक हो जाएगा।

(IMNB)