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सावधान - कहीं लाखों चुका कर आप ‘‘मौत का अपार्टमेंट’’ तो नहीं खरीद रहे।

कानपुर। आईआईटी गांधीनगर के वर्तमान निदेशक, आईआईटी कानपुर के सिविल विभाग के पूर्व अध्यक्ष और देश में भूकंपरोधी इंजीनियरिंग के पुरोधा माने जाने वाले प्रोफेसर सुधीर जैन का कहना है  कि सरकार, मीडिया, बिल्डर, इंजीनियर, नगर पालिकाओं आदि को ये समझना चाहिए कि भूकंप तो हर 5-10 साल में एक बार आएगा, लेकिन इस बीच वो भूकंप को भूले रहेंगे तो जब ये आएगा एकदम से हजारों जानें ले जाएगा। तब सालों बाद पता चलेगा कि बिल्डिंग तो गड़बड़ बनी थी। तो क्यों नहीं आखिर हर बिल्डिंग और भवन के निमार्ण में भूकंपरोधी तकनीक को अनिवार्य कर दिया जाए?
प्रदेश सरकारों को नगर निगमों और डेवलपमेंट एथाॅरिटीज के माध्यम से क्राॅसचेकिंग की भी व्यवस्था रखनी चाहिए कि बिल्डर या पब्लिक ने केवल नक्शे में ही भूकंपरोधी दिखा दिया है, या फिर बिल्डिंग को वाकई में भूकंपरोधी बनाया भी है ? इस चेकिंग में धोखा या करप्शन हुआ तो खामियाजा मासूमों को अपनी जान से चुकाना पड़ सकता है। दूसरी समस्या ये है कि हमारे देश में, खासकर यूपी-बिहार आदि में आज भी बिल्डिंग की स्ट्रक्चरल सेफ्टी के बारे में सोचा ही नहीं जाता। हर सिविल इंजीनियर को स्ट्रक्चरल सेफ्टी या भूकंप रोधी तकनीक के बारे में जानकारी ही नहीं होती। फिर भी वो तुरंत बिल्डिंग का नक्शा बनाने को तैयार हो जाते हैं, एथाॅरिटीज उनको पास भी कर देती हैं। गुजरात में भूकंप के समय एक शहर में ऐसी ही सवा सौ इमारतें धाराशाई हो गईं थीं, हजारों जानें गईं थी। बात ये है कि बमुश्किल 5-10 परसेंट इंजीनियरों को ही स्ट्रक्चरल सेफ्टी का ज्ञान होता है। इसलिए सरकारों को उन्हीं सिविल इंजीनियरों को भवन निमार्ण के लिए लाइसेंस जारी करने चाहिए, जो इस विधा में पारंगत हों। 
-इंजीनियरों की ‘‘कंपीटेंस बेस्ड लाइसेंसिंग’’ हो-
यूं ही हर कोई भवन बनाने न चल दे जिससे लोगों की जान खतरे में पड़े। लाइसेंस्ड इंजीनियरों की जिम्मेदारी ही दूसरे इंजीनियरों से अलग होगी, बल्कि होनी ही चाहिए। 
-अपने इंजीनियरों की एक्पर्टाइज बढ़ाएं केडीए-एलडीए जैसे विभाग-
प्रो. जैन ये भी कहते हैं कि केडीए, एलडीए, डीडीए जैसी एथाॅरिटीज भवनों में सैट बैक, पार्किंग आदि मानकों को तो देखते हैं, पर उन्हें स्ट्रक्चरल सेफ्टी के मानकों को अब टाॅप प्रायोरिटी पर चेक करना शुरू करना चाहिए तुरंत। केवल संसाधनहीनता और सरकारी इंजीनियरों के पास इसकी एक्पर्टाइज नहीं होने का रोना नहीं चलेगा।   
-अभी भी सुधार कर लो कानपुर-
सभी शीर्ष वैज्ञानिक कहते हैं कि अभी भी मौका है, बिकने के तैयार नए और पुराने मल्टीस्टोरी- अपार्टमेंट्स में बिल्डिर्स थोड़ा सा एस्ट्रा खर्च करके स्ट्रक्चरल सेफ्टी मेजर्स बढ़ा सकते हैं। इस तरह से वो कम से कम भविष्य के मल्टीस्टोरीज को थोड़ा-बहुत तो तैयार कर ही सकते हैं। क्यों 53 साल में भी भूकंप रोधी बिल्डिंगों के लिए नियम अनिवार्य नहीं किए गए। भारतीय मानक ब्यूरो ने 1962 में पहली बार ‘‘भूकंपरोधी डिजाइन के लिए भारतीय मानक शर्त’’ का प्रकाशन किया था। इसमें ताजा संशोधन भी 8 साल पहले, 2005 में किया गया है। इस मानक शर्त की सिफारिश के के हिसाब से देश में गिने चुने भवन ही बने होगे। ये मानक बाध्यकारी नहीं हैं। यानि कि केंद्र या प्रदेश सरकारों ने इन्हें निमार्ण में अनिवार्य नहीं बनाया है। शायद इसीलिए किसी को पता भी नहीं हैं कि भूकंपरोधी आवासीय मल्टीस्टोरी या मकान बनाने के लिए कोई दिशा निर्देश  भी हैं। 
-38 शहरों के मकान भूकंप झेलने लायक नहीं-
भारत सरकार ने अभी भूकंप क्षेत्र में पड़ने वाले 38 शहरों की सूची बनाई है। जानकारों के अनुसार इसमें कानपुर और लखनऊ प्रमुख रूप से हैं। क्योकि कानपुर और लखनऊ संवेदनशील ‘‘सीस्मिक जोन 3’’ में पड़ते हैं। गृह मंत्रालय के लिए संयुक्त राष्ट्र की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि इन शहरों में अधिकतर मल्टीस्टोरीज और मकान भूकंप झेलने लायक नहीं हैं। इसलिए इनमें से किसी भी शहर में भूकंप आने पर बड़ी तबाही हो सकती है। और वैज्ञानिकों के अनुसार कानपुर या लखनऊ में मात्र 6 से 6.5 रिक्टर स्केल का भूकंप ये तबाही लाने में सक्षम है। नेपाल में तो 7.9 रिक्टर स्केल के भूकंप से ये हाल हुआ।
बोले वैज्ञानिक– 
‘‘‘दैवीय आपदा तो भूकंप है, बिल्डिंगों का गिरना दैवीय नहीं, मानवीय लापरवाही है। जनता की सुरक्षा का जिम्मा सरकारों का है, खुद जनता का नहीं। केंद्र सरकार, प्रदेश सरकार और केडीए, एलडीए, नगर निगम आदि देखें कि मल्टीस्टोरी अपार्टमेंट्स बनाने में बिल्डर्स भूकंपरोधी मानक लागू करें, लोगों की जान से न खेलें। सरकारी इंजीनियरों के पास इसकी जानकारी या ट्रेनिंग नहीं तो करवाई जाए, आखिर पब्लिक की सुरक्षा उनकी जिम्मेदारी है।’’’
– प्रोफेसर दुर्गेश राय, अध्यक्ष, (एनआईसीईई) आईआईटी कानपुर
 “”आप फ्लैट खरीदने जा रहे हैं तो ये जानकारी जरूर कर लें कि बिल्डर ने बिल्डिंग बनाने में स्ट्रक्चरल सेफ्टी के मानक अपनाये हैं कि नहीं, केवल बातों या नक्शे पर भरोसा करना ठीक नहीं रहेगा। अनसेफ बिल्डिंग के लिए महज 6 या 6.5 रिक्टर स्केल का भूकंप विध्वंसकारी हो सकता है। “”
– डाॅ. केके बाजपेयी, साइंटिस्ट, सिविल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी कानपुर

(नोट:- खबर में दी गयीं फोटोग्राफ्स प्रतीकात्मक हैं खबर का किसी खास अपार्टमेंट या बिल्डिंग अथवा भवन से कोई लेना देना नहीं। खबर पूरी तरह विषय से सम्‍बन्धित शीर्ष वैज्ञानिकों से बातचीत पर आधारित है और जनहित में प्रकाशित की गयी है।)


(अभिषेक त्रिपाठी - लाइव कानपुर)



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