Breaking News

बजट घटने से नाराज मोदी के दो मंत्रियों ने लिखी चिट्ठी

नई दिल्ली । नरेंद्र मोदी सरकार के भीतर अंसतोष की खबर है। दो कैबिनेट मंत्रियों ने मौजूदा वित्त वर्ष में अपने विभाग के बजट आवंटन में भारी कटौती की शिकायत की है। महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने वित्त मंत्री अरुण जेटली को दो नाराजगी भरी चिट्ठियां लिखी हैं, जिसमें इस कदम के 'राजनीतिक और सामाजिक नतीजों' के बारे में चेतावनी दी गई है। दूसरी तरफ, चौधरी बीरेंद्र सिंह ने अपने पंचायती राज मंत्रालय के लिए 1,500 करोड़ रुपये मांगे हैं, जो तकरीबन मृतप्राय हो चुका है।
मेनका गांधी ने अपने मंत्रालय के बजट आवंटन में भारी कटौती के खिलाफ सबसे पहले 5 मार्च को चिट्ठी लिखी थी। इसके बाद उन्होंने 27 अप्रैल को एक बार फिर इस सिलसिले में वित्त मंत्री को चिट्ठी लिखी, जिसमें उन्होंने कहा कि उनके मंत्रालय के तहत आने वाली स्कीमें सीधे तौर पर बच्चों के कुपोषण और सरकार की हेल्थ योजनाओं से जुड़ी हैं। इस मंत्रालय का 2015-16 के लिए बजट घटाकर 8,245 करोड़ रुपये कर दिया गया है, जो पिछले वित्त वर्ष में 18,108 करोड़ रुपये था। इससे मुख्य तौर पर 3 स्कीमों पर असर पड़ा है- समन्वित बाल विकास योजना (आईसीडीएस), सर्वशिक्षा अभियान और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन। समन्वित बाल विकास योजना के तीन कंपोनेंट्स हैं आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की सैलरी, नया आंगनवाड़ी खोलना और बच्चों के पोषण वाले आहार। वित्त मंत्रालय ने इसमें राज्य की हिस्सेदारी बढ़ाने के बाद सभी प्लान स्कीमों के बजटीय आवंटन में कटौती की थी। मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया, 'हम आंगनवाड़ी वर्कर्स की सैलरी में कटौती नहीं कर सकते हैं या नया आंगनवाड़ी नहीं खोल सकते। लिहाजा, इस कटौती से पोषक आहार देने पर असर पड़ेगा। यह काफी खतरनाक स्थिति है, क्योंकि यह स्कीम सीधे तौर पर भारत में कुपोषण के खिलाफ लड़ाई से जुड़ी है।' उनके मुताबिक, इस कटौती से वैसी स्कीमों पर असर पड़ा है, जो काफी सफल साबित हुई हैं। मंत्रालय की सभी स्कीमें केंद्र-राज्य पार्टनरशिप के आधार पर चल रही हैं, जिसका मतलब यह है कि अगर केंद्र आईसीडीएस में 90 फीसदी रकम मुहैया कराता है, तो राज्यों को 10 फीसदी रकम देनी होगी। पंचायती राज मंत्री ने भी जेटली के सामने दो बार बजट में कटौती का मुद्दा उठाया है। उनके मंत्रालय से जुड़ी सभी स्कीमों को राज्यों को ट्रांसफर कर दिया गया है और इस मंत्रालय का बजट 2015-16 में घटकर महज 94 करोड़ रह गया है। 2014-15 में इसका बजटीय आवंटन 7,000 करोड़ था। बीरेंद्र सिंह ने अपने राज्यमंत्री निहाल चंद को इस मसले पर निगरानी रखने को कहा है। पंचायती राज मंत्रालय के अधिकारियों की वित्त मंत्रालय के साथ कई बार बैठक हो चुकी है। एक सीनियर अधिकारी ने बताया, 'हमें पूरी उम्मीद है कि अतिरिक्त फंड मिलेगा। 


(IMNB)