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राहुल के खिलाफ बोलने वालों की खबर लेगी कांग्रेस

नई दिल्ली । करीब दो महीने की लंबी छुट्टी के बाद राहुल गांधी की सियासत में वापसी के बाद कांग्रेस नेतृत्व ने सख्त संदेश देते हुए कहा है कि पार्टी उपाध्यक्ष की कार्यशैली के खिलाफ की गई टिप्पणी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। पार्टी के सीनियर नेताओं ने बताया कि पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने राहुल गांधी की लीडरशिप को लेकर कुछ सवाल उठाए थे, जिसके बाद उन्हें कड़ी फटकार लगाई गई।पूर्व रक्षा मंत्री और सोनिया गांधी के वफादार माने जाने वाले ए के एंटनी को पार्टी ने यह काम सौंपा है।
एंटनी पार्टी नेताओं को किसी प्रकार की टिप्पणी के खिलाफ कड़ी हिदायत दे चुके हैं। जब इस मामले में उनसे संपर्क करने की कोशिश की तो उन्होंने कहा, 'वह इस मामले में कुछ भी बात नहीं करना चाहते।' जिन अन्य नेताओं ने राहुल गांधी की लीडरशिप के खिलाफ टिप्पणी की थी, उनमें दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और उनके बेटे संदीप दीक्षित का नाम शामिल हैं।पार्टी के एक सीनियर नेता ने कहा कि एंटनी को यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी कि वह सिंह को यह साफ कर दें कि उनकी टिप्पणी से सोनिया गांधी सहज नहीं हैं। पिछले रविवार को जहां कांग्रेस की किसान रैली में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा को बोलने की इजाजत दी गई थी, वहीं पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री सिंह को पार्टी मंच से बोलने का मौका नहीं दिया गया। 56 दिनों की लंबी छुट्टी से लौटे राहुल गांधी की यह पहली किसान रैली थी। उन्होंने कहा, 'सिंह कद्दावर नेता हैं और उनको सुनने के लिए भीड़ जुटती है। उनको रैली में नहीं बोलने दिया जाना पार्टी लीडरशिप की तरफ से दिया गया साफ संदेश था।' सिंह ने इस मामले में सवालों पर कोई टिप्पणी नहीं दी।पार्टी के सीनियर नेताओं ने कहा कि कांग्रेस राहुल गांधी के खिलाफ उठने वाली आवाजों को पूरी तरह दबाने के पक्ष में है क्योंकि इस साल के अंत तक राहुल गांधी को पार्टी की कमान दिए जाने की तैयारी चल रही है। उन्होंने कहा, 'पार्टी नेतृत्व राहुल गांधी के खिलाफ की गई किसी भी सार्वजनिक टिप्पणी को बर्दाश्त नहीं करेगा। इसके बावजूद अगर कोई ऐसा करता पाया जाता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।' उन्होंने कहा कि ऐसा करने वालों को पार्टी निकाले जाने तक का रास्ता खुला हुआ है। अमरिंदर सिंह के मामले में हालांकि कांग्रेस ने कोई वैसा कड़ा कदम नहीं उठाया। कांग्रेस के रणनीतिकारों के मुताबिक, इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह यह थी कि कांग्रेस सिंह की वजह से पंजाब में अपना नुकसान नहीं करना चाहती। पंजाब में 2017 में विधानसभा के चुनाव होने हैं


(IMNB)