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बाबरी केस - आडवाणी-जोशी समेत 20 लोगों को नोटिस

नई दिल्ली। बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट से पांच महीने पहले बरी किए गए लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी समेत 20 नेताओं व केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने फैजाबाद के निवासी हाजी मोहम्मद अहमद की तरफ से दायर की गई विशेष याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया है।
सीबीआई समेत सभी पक्षों को जवाब देने के लिए चार हफ्ते की मोहलत दी गई है। बाबरी मस्जिद ढहाए जाने से जुड़े 22 साल पुराने केस में इलाहाबाद हाई कोर्ट के पांच साल पुराने उस फैसले को चुनौती दी गई है, जिसमें बीजेपी और संघ परिवार के सीनियर नेताओं को बाबरी मस्जिद तोड़ने की साजिश में शामिल होने के आरोप से बरी कर दिया गया था। इस मामले के आरोपियों में लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के अलावा कल्याण सिंह, उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा, विनय कटियार और अशोक सिंघल शामिल हैं। याचिका में केंद्र में बीजेपी की सरकार होने के मद्देनजर इस केस में सीबीआई की निष्पक्षता को लेकर आशंका जताई गई है। याचिकाकर्ता हाजी मोहम्मद अहमद रामजन्म भूमि विवाद केस से पिछले 45 साल से जुड़े हैं। याचिका में कहा गया है, 'अहम बात यह है कि जिन पर आपराधिक मुकदमा चला है, वह कैबिनेट मिनिस्टर (उमा भारती) हैं और जिस नेता के खिलाफ गड़बड़ियों को दुरुस्त करने के लिए सही कार्रवाई नहीं करने का आरोप है, वह (राजनाथ सिंह) केंद्रीय कैबिनेट में काफी ऊंचे ओहदे पर हैं। एक और अभियुक्त (कल्याण) गवर्नर बन चुके हैं।' इलाहाबाद कोर्ट ने बाबरी मस्जिद गिराने के मामले में 21 आरोपियों को साजिश के आरोप से मुक्त कर दिया था, जिसमें से बाल ठाकरे की मौत हो चुकी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह फैसला 20 मई 2012 को आया था, लेकिन सीबीआई ने 8 महीने बाद इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। कानूनन अपील तीन महीने के अंदर दाखिल होनी चाहिए। इस मामले में यह मियाद 29 अगस्त 2010 को खत्म हो गई थी। अब तक आरोपी सीबीआई की अपील में देरी की दुहाई देकर याचिका खारिज करने की मांग करते आए हैं। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह इस मामले में 'बहुत सावधानी' के साथ कदम बढ़ाना चाहती थी। इसी वजह से देरी हुई। सीबीआई ने पहले कहा था, 'देरी इसलिए हुई क्योंकि जितने भी पक्ष मामले से जुड़े थे, वे एहतियात बरत रहे थे। इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए हम कोई चूक नहीं चाहते थे। इसलिए बहुत सावधानी के साथ काम किया गया।'

(IMNB)