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सेना से बातचीत के बाद ही अफ्सपा हटाएगी सरकार - मुफ्ती

जम्मू। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने कहा कि उनकी सरकार सेना से विचार-विमर्श करने के बाद ही सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफ्सपा) को चरणबद्ध तरीके से हटाने के मामले में आगे बढ़ेगी। मुफ्ती ने कहा कि सेना ने इसे लेकर आशंकाएं जताई हैं।
मुफ्ती ने कहा कि वह सशस्त्र बलों को अभियोजन से राहत दिलवाने वाले अफ्सपा को एकबारगी नहीं हटा सकते लेकिन उन्होंने आश्वासन दिया कि इसे चरणबद्ध तरीके से हटाया जाएगा। जम्मू-कश्मीर से अफ्सपा हटाए जाने के मुद्दे पर उन्होंने विधान परिषद में कहा, 'कुछ क्षेत्रों को अशांत क्षेत्र कानून के दायरे से बाहर किया जाएगा। चरणबद्ध प्रक्रिया के जरिये। मुफ्ती ने कहा कि इस कदम को लेकर आशंका रखने वाली सेना के साथ इस निर्णय के बारे में विचार-विमर्श किया जाएगा। उन्होंने राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए विधान परिषद में कहा, 'मैं इसे उनके (सेना के) साथ विचार-विमर्श से करूंगा और उनकी सहमति लेने के बाद करूंगा।' मुख्यमंत्री ने कहा, 'मैं यह कहना चाहता हूं कि उन्हें (सेना को) आशंकाएं हैं (अफ्सपा को हटाए जाने को लेकर)। मैं एकदम से छलांग नहीं लगा सकता (इसे हटाने के लिए)। अच्छी तरह से विचार-विमर्श करने के बाद हम यह देखेंगे कि हम किस तरह रास्ता निकाल पाएंगे।' मुफ्ती ने कहा, 'जहां तक अफ्सपा का संबंध है, मैं केंद्रीय मंत्री और जम्मू-कश्मीर का मुख्यमंत्री रह चुका हूं। एकीकृत कमान हमारे प्रति जवाबदेह है। कोर कमांडर सहित वे विभिन्न सुरक्षा बलों के कई वरिष्ठ अधिकारी हैं। वे हमारे प्रति जवाबदेह हैं।' उन्होंने कहा कि अफ्सपा को हटाने को लेकर काफी बहस हो चुकी है और इस पर पुनर्विचार करने की जरूरत है। 'हमारी सरकार उन क्षेत्रों से अफ्सपा को चरणबद्ध तरीके से हटाने की वकालत करती है जो काफी समय से उग्रवाद से मुक्त हो गए हैं।' मुख्यमंत्री ने छातेग्राम और माछिल की घटनाओं का जिक्र किया जहां केंद्र ने सुरक्षाकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की। मुफ्ती ने कहा कि उनकी सरकार उपाय करने तथा राज्य पर लागू होने वाले विशेष कानूनों की समीक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री ने एक जांच शुरू की है और सेना से इस बात को स्वीकार करने को कहा कि छातेग्राम में मारे गए दोनों युवक निर्दोष थे।' राज्य में राजनीतिक बंदियों के मुद्दे और उनकी वास्तविक संख्या के बारे में मीडिया की धारणा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि जन सुरक्षा अधिनियम के तहत केवल 37 लोगों को कैदी बनाया गया है। उन्होंने कहा, 'उनमें 20 विदेशी नागरिक हैं जबकि जन सुरक्षा अधिनियम के तहत केवल 17 कैदी ही स्थानीय हैं। फिर यह हो-हल्ला क्यों मचाया जा रहा है।'

(IMNB)