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अल्पसंख्यकों के लिए मोदी सरकार का तोहफा

नई दिल्ली। भले ही घर वापसी को लेकर संघ परिवार से जुड़े कई संगठन अल्पसंख्यक समुदाय को टारगेट कर रहे हैं, लेकिन नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार इन पर मेहरबान है। कर्ज देने को लेकर पब्लिक सेक्टर के बैंकों को केंद्र सरकार ने जो हिदायत दी है, उससे मुस्लिम और क्रिस्चन जैसे अल्पसंख्यक समुदायों का काफी फायदा होगा।
सरकार ने पब्लिक सेक्टर के बैंकों से प्रत्येक अल्पसंख्यक समुदाय को अल्पसंख्यकों की कुल आबादी में उनके हिस्से के हिसाब से लोन देने को कहा है। यह लोन सभी अल्पसंख्यक समुदायों के लिए निर्धारित 6 फीसदी कोटे में से दिया जाना है। सरकार के इस कदम से मुस्लिम एवं क्रिस्चन समुदायों को कर्ज की भारी रकम उपलब्ध हो सकेगी। वर्तमान नियम के अनुसार बैंकों को अपने प्रायॉरिटी सेक्टर लोनों में 15 फीसदी अल्पसंख्यक समुदायों के लिए निर्धारित करना अनिवार्य है। प्रायॉरिटी सेक्टर लेंडिंग के लिए बैंकों को सभी बैंक लोनों का 40 फीसदी आरक्षित करना अनिवार्य है, इसमें कृषि और लघु एवं कुटीर उद्योग भी शामिल हैं। 2001 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक विभिन्न अल्पसंख्यक समुदाय भारत की कुल आबादी का करीब 19.5 फीसदी हैं। अल्पसंख्यकों की कुल आबादी में 69 फीसदी मुसलमान, 12 फीसदी क्रिस्चन, सिख 10 फीसदी के नीचे और शेष समुदाय करीब 9 फीसदी है। हालांकि 2011 की जनगणना के आंकड़े, जिसे अभी जारी नहीं किया गया है, ये अनुपात बदल गया होगा लेकिन इसमें किसी भारी फेरबदल की संभावना नहीं है। इसलिए लोन के नए नियम का मतलब यह होगा कि समस्त बैंक लोनों का करीब 4 फीसदी मुस्लिमों के लिए, क्रिस्चनों के लिए 0.7 फीसदी और सिखों के लिए 0.6 फीसदी उपलब्ध होगा। सरकार की ओर से जो निर्देश दिया गया था, उसके विरुद्ध बैंकों ने दिसंबर 2014 के अंत में अल्पसंख्यकों को 16 फीसदी प्रायॉरिटी सेक्टर लोन दिया। हालांकि जून 2007 में यूपीए सरकार के निर्णय के बाद अल्पसंख्यकों को लोन भारी मात्रा में मिला, लेकिन स्टडी से पता चलता है कि इस स्कीम से मुस्लिम एवं क्रिस्चन समुदायों को पर्याप्त रूप से लाभ नहीं मिला। अन्य अल्पसंख्यक ग्रुप जैसे जैन, पारसी और सिखों को बैंक लोनों का भारी हिस्सा मिला। इस स्थिति से अवगत होने के बाद अल्पसंख्यक मामलों के विभाग ने इस विषय को बैंकरों के समक्ष रखा और अब वित्त मंत्रालय ने इस दिशा में कदम उठाया है। बुधवार को बैंक प्रमुखों की निर्धारित एक मीटिंग के लिए तैयार किए गए अजेंडा में उल्लेख किया गया है, 'नोडल अधिकारियों की मीटिंग में अल्पसंख्यक मंत्रालय के सचिव ने यह प्रस्ताव रखा कि सभी अल्पसंख्यक समुदाय को अल्पसंख्यक समुदाय की आबादी में उनके हिस्से के अनुपात में उनको दिए जाने वाले लोन के पर्सेंटेज को बढ़ाया जाए। इसके अलावा इसने सरकारी बैंकों से अल्पसंख्यकों के घनत्व वाले इलाकों में अधिक से अधिक बैंक शाखा खोलने का निर्देश दिया।

(IMNB)