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इकनॉमिस्ट्स ने कहा, सरकारी खर्च बढ़ाए मोदी सरकार

नई दिल्ली. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जहां एक ओर सरकारी खर्च में कटौती के संकेत दिए हैं, वहीं इकनॉमिस्ट्स ने प्रधानमंत्री मोदी को सरकारी खर्च बढ़ाने के सुझाव दिए हैं। अरविंद पनगढ़िया के नेतृत्व वाले नीति आयोग के तत्वाधान में नई दिल्ली में आयोजित मीटिंग में कई इकनॉमिस्ट्स ने मोदी सरकार को वित्तीय रोड मैप में बदलाव करके सरकारी खर्च बढ़ाने को कहा।
सरकारी खर्च को बढ़ाने का विचार सबसे पहले मुख्य इकनॉमिक एडवाइजर अरविंद सुब्रमण्यन ने दिसंबर में जारी मिड इयर रिव्यू में व्यक्त किया था। उन्होंने बताया था कि पहले से बोझ तले दबा प्राइवेट सेक्टर निवेश करने की स्थिति में नहीं है, इसलिए सरकार को कदम बढ़ाने की जरूरत है। मीटिंग में शामिल होने वाले एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, 'हालांकि इस पर लोगों के मत अलग-अलग थे लेकिन कई लोगों ने इस बात का समर्थन किया कि ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए सरकार को वित्तीय मोर्चे पर नरमी बरतनी चाहिए।' बजट का समय करीब होने की वजह से इस तरह के सुझाव सरकार के लिए पॉलिसी के मोर्चे पर दुविधा पैदा कर सकते हैं। शुक्रवार को आयोजित एक सेमिनार को विडिया कॉन्फ्रेंसिंग से संबोधित करते हुए जेटली ने कहा, 'अपनी सीमा से बाहर खर्च करने का मतलब यह है कि हम जो ज्यादा खर्च कर रहे हैं, उस कर्ज को चुकता करने की जिम्मेदारी अपनी अगली पीढ़ी पर छोड़ दें। ये किसी भी तरह से तर्कसंगत वित्तीय पॉलिसी नहीं होगी।' जेटली ने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि सरकार विकास कार्यों पर खर्च बंद कर देगी बल्कि सरकार कुछ नया करने की कोशिश करेगी। शुक्रवार को आयोजित मीटिंग में नीति आयोग के उपाध्यक्ष पनगढ़िया के अलावा इसके दो फुल टाइम सदस्यों विवेक देवराय और वीके सारस्वत, और इसके सीईओ सिंधुश्री खुल्लर ने भाग लिया। इस मौके पर जेटली, योजना मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, चीफ इकनॉमिक एडवाइजर सुब्रमण्यन और कैबिनेट सचिव अजित सेठ भी मौजूद थे।मीटिंग में शिरकत करने वाले अन्य लोगों में विजय केलकर, नितिन देसाई, बिमल जालान, राजीव लाल, आर.वैद्यनाथन, सुबीर गोकरन, पर्थासारथी शोम, पी.बालाकृष्णन, राजीव कुमार, अशोक गुलाटी, मुकेश भूटानी और जीएन वाजपेयी शामिल थे। प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी एक बयान में इस बात का उल्लेख किया गया कि नीति आयोग के गठन का एक उद्देश्य एक डाइनैमिक इंस्टिटयूशनल मेकनिज्म की स्थापना है जहां सरकारी सिस्टम से बाहर के प्रमुख व्यक्ति पॉलिसी निर्माण में अपना योगदान दे सके। बयान में कहा गया कि इकनॉमिस्ट्स ने इस बात पर जोर दिया है कि सरकार हाई ग्रोथ, प्रिडिक्टेबल टैक्स रिजाइम, वित्तीय विवेक और तेज इंफ्रास्टक्चर विकास के लिए काम करे।

(IMNB)