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मुकुल रॉय के पर कतरने में जुटीं ममता बनर्जी

कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस में चुपचाप इस बात की तैयारी चल रही है कि संगठन को किस तरह से मुकुल रॉय के बगैर चलाया जाए। पार्टी के सूत्रों ने बुधवार को बताया कि ममता बनर्जी ने सरकार चलाने के अलावा खुद संगठन की देखरेख करने का फैसला किया है। तृणमूल कांग्रेस के सीनियर नेता अब पार्टी में मुकुल समर्थकों की पहचान करने में जुटे हैं।
माना जा रहा कि रॉय की जिम्मेदारियां कम करने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद रॉय के समर्थक बगावत कर सकते हैं। रॉय पर पार्टी संगठन चलाने की जिम्मेवारी थी जिससे ममता को सरकार के मामलों पर फोकस करने में मदद मिलती थी। तृणमूल कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि ममता अपने भरोसेमंद नेताओं से पूरे राज्य के जमीनी कार्यकर्ताओं का डेटाबेस तैयार करवाना चाहती थीं। वह अपने वरिष्ठ नेताओं से यह भी चाहती हैं कि वे राज्य के सभी अहम पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के नंबर इकट्ठा करें ताकि आपात स्थिति में उनसे संपर्क किया जा सके। अब पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने जिला और उससे नीचे की इकाइयों के अहम नेताओं और कार्यकर्ताओं के मोबाइल नंबर जुटाना शुरू कर दिया है। 30 जनवरी को सीबीआई की मकुल रॉय से पूछताछ और इसके बाद उन्हें मुक्त करने के बाद से ममता और रॉय के रिश्ते खराब हो गए हैं। रॉय ने पार्टी लाइन के उलट सीबीआई को इस मामले में सभी तरह की मदद का आश्वासन दिया। तृणमूल कांग्रेस लगातार कह रही है कि बीजेपी ममता बनर्जी को राजनीतिक रूप से खत्म करने के लिए सीबीआई का इस्तेमाल कर रही है। पिछले हफ्ते बंद दरवाजे के अंदर पार्टी की हुई बैठक में ममता ने इस बात के भी संकेत दिए कि रॉय ने जांच एजेंसी के सामने उनके (ममता के) भतीजे अभिषेक का नाम भी उछाला है।हालांकि, ममता और रॉय ऐसा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि दोनों के बीच किसी तरह का मनमुटाव नहीं है। लेकिन पार्टी के कामकाज के स्तर पर ममता ने रॉय के पर कतरने शुरू कर पूरी जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली है। इस बीच, तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद श्रीन्जॉय बोस को बुधवार को कोलकाता की एक अदालत से सशर्त जमानत मिल गई। बोस को सारदा चिट फंड घोटाले में पिछले साल नवंबर में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। हालांकि, जांच एजेंसी 60 दिनों के अंदर बोस के खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं कर सकी, लिहाजा कोर्ट ने उन्हें बुधवार को जमानत दे दी।