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बहुमत साबित करने तक हाई कोर्ट ने मांझी को फैसले लेने से रोका

पटना. पटना हाई कोर्ट ने बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को बहुमत साबित करने तक फैसले लेने पर रोक लगा दी है। हाई कोर्ट ने मांझी से कहा है कि वह केवल रूटीन फैसले ही लें। मांझी पर उनकी पार्टी जेडी(यू) का कहना है कि वह बिना बहुमत वाली सरकार चला रहे हैं। मांझी सरकार के 100 से ज्यादा विधायकों ने नीतीश को विधायक दल का नेता चुन लिया है।
जेडी(यू) का कहना था कि जिस सीएम के पास बहुमत नहीं है वह बड़े फैसले लेने का हक नहीं रखता। इसी के मद्देनजर मांझी पर हाई कोर्ट ने बड़े फैसले 20 फरवरी को बहुमत साबित करने तक नहीं लेने का निर्देश दिया है। शनिवार को मांझी ने एक बड़ा कदम उठाते हुए पासवान जाति को भी महादलित कैटिगरी में डालने का फैसला लिया था। दलितों में महादलित की कैटिगरी नीतीश कुमार ने बनाई थी। इस कैटिगरी से नीतीश ने पासवान जाति को अलग रखा था। लेकिन मांझी ने नीतीश के फैसले को बदलते हुए पासवान जाति को भी महादलित कैटिगरी में डाल दिया था। नीतीश से टकराव के बाद मांझी द्वारा लिए गए बड़े फैसले 12 फरवरी को पांच एकड़ तक के किसानों को मुफ्त बिजली देने का ऐलान किया था। मांझी ने वित्तरहित स्कूलों के अधिग्रहण को भी मंजूरी दी थी। इन्होंने 10 फरवरी को कैबिनेट की बैठक बुलाकर ठेके में एससी-एसटी के ठेकेदारों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की थी। इन्होंने गरीब सवर्णो को नौकरी में आरक्षण की पहल की थी। मांझी ने सभी वर्गो की पीजी तक की लड़कियों की पढ़ाई मुफ्त करने का बड़ा फैसला किया था। इन्होंने 43 हजार सफाई मित्रों की गांवों में बहाली की घोषणा की थी। मुख्यमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत हर प्रखंड के पांच गांवों को विकसित किया जाएगा। गया, पूर्णिया और भागलपुर में हाई कोर्ट बेंच बनाने का वादा किया गया था। मांझी ने बिहार में पत्रकारों के लिए पेंशन की भी घोषणा की थी। इस बीच बिहार विधानसभा के स्पीकर उदय नारायण चौधरी ने जारी राजनीतिक संकट के बीच सर्वदलीय बैठक बुलाई। दरअसल, जेडी(यू) ने स्पीकर से विपक्ष का दर्जा देने की मांगी की है। इसी को लेकर बैठक बुलाई गई थी। बीजेपी, जेडी(यू) की इस मांग का विरोध कर रही है। बीजेपी का कहना है कि नीतीश कुमार स्पीकर पर असंवैधानिक फैसले लेने का दवाब डाल रहे हैं।

(IMNB)